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( ३५२) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि समयसुंदर कहइ भावसुं रे,
नित प्रणमुं सिर नामी रे जात्रीड़ा ॥४॥ दादा श्री जिन कुशल सूरि गीत
राग-वसंत आज आणंदा हो आज आणंदा । भाव भगति परभाते भेट या,
श्री जिन कुशल सूरीन्दा ॥श्रा० ॥१॥ आरति चिन्ता टालइ अलगी, ___ गुरु मेरो दूर करे दुख दंदा । जागतो पीठ श्रावे लोग जातर,
नर नारी ना वृंदा ॥ आ० ॥२॥ साहिब हूँ तोरी करु सेवा,
आठ पहर अरज बंदा । समयसुंदर कहइ सानिध करजो,
चंद कुलंबर चंदा ॥आ० ॥३॥ अमरसर मंडण श्री जिनकुशलसूरि गीतम्
___ राग-मारुणी दाखि हो मुझ दरिसण दादा, श्रीजिनकुशल करि सुप्रसादा। सेवक नइ समस्यउ द्यइ सादा, जग सिगलउपइ जसवादा। दा.॥१॥
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