________________
( ३१%)
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
पाल तू निर्मल शील सुरंगा रे,
पामसी परभव शिवसुख अभंगा रे ॥ ५ ॥ धन धन थूलभद्र तुरिषिराया रे,
समयसुन्दर कहै प्राणमुं पाया रे ॥६॥
-
-
श्री सनत्कुमार चक्रवर्ती गतिम्
सांभलि सनतकुमार हो राजेश्वर जी,
अबला किम मेल्ही हो राजेन्द्र एकली जी। अम्हनइ कवण आधार हो राजेश्वर जी,
राखइ किम धीरज राजन राणियों जी ॥१॥ ए संसार असार हो राजेश्वर जी,
काया ते दीठी हो रोजन कारमी जी । लीधो संजम भार हो राजेश्वर जी,
छांडी राजरिद्धि तण जिम ते छती जी ॥२॥ मन वसियो वइराग हो राजेश्वर जी,
मूकी हो माया ममता मोहनी जी। तिं कोधउ षट खंड त्याग हो राजेश्वर जी,
इम किम निठुर हुआ नाहला जी ॥३॥ एकरस्यउ पियु पेखि हो राजेश्वर जी,
अम्हनइ मन वाल्हो राजन आपणु जी।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org