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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री राजुल रहनोमि गीतम्
राग-रामगिरी रूड़ा रहनेमि म करिस्यउ म्हारी आलि । मुहड़इ बोलि संभालि रे,
हुं नहीं छुभे (१ ने) वाली रे । र । म । सुणि एहवी बात जउ सांभलस्यइ,
गुरु देस्यइ तुझ नइ गालि रे।र०॥१॥ जोरह प्रीति न होयइ जादव,
___एक हथि न पड़इ तालि रे । समयसुन्दर कहइ राजुल वचने,
रहनेमि लीधु मन वालि रे ।र० ॥ २ ॥
इति राजुल रहनेमि गीतम् ।। पं. रंगविमल लिखितम् ।। शुभंभवतु ॥ छः॥
श्री राजुल रहनेमि गीतम ढाल-किहा गयउ नल किहां गयउ; एह दमयंती ना गीत नी। यदुपति वांदण जावतां रे, मारगि बूठा मेहो रे । गुफा मांहि राजुल गई रे, वस्त्र ऊगविवा देहो रे ।। दरि रहउ रहनेमि जी रे, वचन संभाली बोलउ रे। राजमती कहइ साधजी रे, मारग थी मत डोलउ रे ।२। दू।
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