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समय सुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
ए
सेऊ. कासी नउ राजवी, विजय महाबल रायो रे । मुनीसरे, राज छोड्या कहिवायो रे || १०|| ए सहु साध संबन्ध छ, उत्तराध्ययन मझारो रे । समयसुंदर कहइ साधनइ, नाम थी हुयइ निस्तारो रे ॥११॥
इति संयती साधु गीतं ॥ ५० ॥
[ पत्र १४ फूलचंद जी भावक सं० ]
श्री अंजना सुन्दरी सती गीतम् ढाल - राजिमती राणी इस परि बोलइ एहनी ।
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अंजना सुन्दरी शील वखाणी,
पवनंजय राजा नी राणी । पाछिल भव जिन प्रतिमा सांति,
करम उदय आव्या बहु भांति | | ० || १ | बार वरस भरतार न बोल्यउ,
तो परिण तेहनउ मन नवि डोल्यउ || ० ||२॥ रावण सुं कटकी प्रियु चाल्यउ,
चकवी शब्द सुणी दुख साल्यउ || ० ||४|| राति छानउ पाछउ आयउ,
अंजना सुंदरी सुं सुख पायउ || ० ||५|| गर्भ नो भ्रांति पड़ी अति गाढी,
सासू कलंक दे बाहिर काढी || श्रं० ॥६॥
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