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नल
श्री दमयंती सती गीतम्
श्री दमयन्ती सती गतिम
ढाल - धन सारथवाह साधु नई, एहनी
नीसरचा,
दवदंती जूयढड़ हार घउ देस नल राजा ।
वन मांहि राति वासउ वस्या, सूता भूमि प्रदेस नल
मुझ नइ मुंकी तू किहां गयउ,
अबला कुण आधार नल राजा । साद करइ सगली दिसइ, दवदंती निज नारि नल दवदंती सूती थकी,
मूकी गयउ नल राय नल राजा ।
दवदंती
वस्त्र ऊपर अक्षर लिख्या,
सासरह पीहरि जाय नल राजा || ३ || मु० ॥ नहीं,
द्य प्रलंभा दैव नइ
राजा ||१||
( ३३१ )
देखइ
नयण सलूणउ नाह नल राजा |
हे हे पुरुष कठिन हिया,
राजा ||२||०||
दुख करइ मन मांहि नल राजा ||४|| मु० ॥
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पुरुष नउ केहउ वेसास नल राजा ।
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