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श्री नग्गइ चतुर्थ प्रत्येक बुद्ध गीतम् ( २७३ ) कनकमाला विद्याधरी म्हांकी सहियर,
परणी प्रेम उल्लास हे ॥२॥ नगर भणि राजा नीसरयउ म्हांकी सहियर,
नग्गई नामि कहाय है। मारग मंइ आंबउ मिल्यउ म्हांकी सहियर,
मांजरि रही महकाय हे ॥३॥ कोहल करइ टहूकड़ा म्हांकी सहियर,
सुंदर फल फूल पान हे। राजा एक मांजरी ग्रही म्हांकी सहियर,
तिम मंत्री परधान हे ॥४॥ वलतइ राजा ते वली म्हांकी सहियर,
वृक्ष दीठउ ते वीछाय है। सोमा सगली कारिमी म्हांकी सहियर,
खिरण मांहे खेरु थाय हे ॥५॥ जाती समरण पामियउ म्हांकी सहियर,
संजम पालइ सुद्ध हे । समयसुंदर कहह साध जी म्हांकी सहियर,
चउथउ परतेक बुद्ध हे ॥६॥ इति नग्गई चतुर्थ प्रत्येक बुद्ध गीतम् ॥ ४३ ॥
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