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( २७२ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि जी हो जाति समरण पामियउ,
जी हो लीधउ संजम भार । जी हो राज रमणी सवि परिहरी,
जी हो मणि माणिक भंडार ॥नमि०॥५॥ जी हो रूप करी ब्राह्मण तणउ,
जी हो इन्द्र परीख्यउ सोय । जी हो चढते परिणामे चढ्यउ,
जी हो सोनउ श्याम न होय ॥नमि०॥६॥ जी हो उत्तराध्ययनइ एह छइ,
जी हो नमि राजा अधिकार । जी हो समय सुंदर कहइ वांदतां, ___जी हो पामीजइ भव पार नमि०॥७॥ श्री नग्गइ चतुर्थ प्रत्येक बुद्ध गीतम्
ढाल-लाल्हरे नी पुंडबधन पुर राजियउ म्हांकी सहियर,
सिंहरथ नाम नरिंद है। एक दिन घोड़इ अपहर चउम्हांकी सहियर,
पड्यउ अटवी दुख दंद हे ॥१॥ परवत उपरि पेखियउ म्हांकी सहियर,
सोत भूमियउ आवास है।
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