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मेथरथ (शांतिनाथ दसम भव ) राजा गीतम् ( २६५ )
त्राजू मंगावी मेघरथ राय जी,
कापी कापी मइ मूकइ मांस रूड़ा राजा । देव माया धारण. समी,
नावइ एकण अंस रूड़ा राजा ॥ ८॥१०॥ भाई सुत राणी विल-विलइ,
हाथ झाली कहइ तेह गहिला राजा । एक पारेवइ नइ कारणइ,
स्यूंकापउ छउ देह गहिला राजा ॥६॥३०॥ महाजन लोक वारइ सहु,
मकरउ एवड़ी बात रूड़ा राजा । मेघरथ कहइ धरम फल मला,
जीव दया मुझ घात रूड़ा राजा ॥१०॥१०॥ तराजुए बइठउ राजवी,
जे भावइ ते खाय रूड़ा पंखी । जीव थी पारेवउ अधिकउ गिण्यउ,
धन्य पिता तुझ माय रूड़ा राजा ॥११॥ध०॥ चढते परिणामे राजवी,
सुर प्रगट्यउ तिहां आय रूड़ा राजा । समावइ बहु विधे करी,
ललि ललि लागइ छइ पाय रूड़ा राजा ॥१२॥ध.।। इन्द्र प्रशंसा ताहरी करी,
जेहवउ तूं छइ राये रूडा राजा ।
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