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( २६६ )
समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि
मेघरथ काया साझी करी,
सुर पहुंतो निज ठाय रूड़ा राजा || १३ || ६० ॥ संयम लियउ मेघरथ राय जी,
लाख पूरब नउ आयु रूड़ा राजा । वीस स्थानक वीसे सेविया,
तीर्थंकर गोत्र बंधाय रूड़ा राजा ॥ १४ ॥ ६० ॥ ग्यारहं भव मंह श्री शांति जी,
पहुँता सरवारथ सिद्ध रूड़ा राजा ।
तेतीस सागर नउ आउखउ,
सुख बिलसइ सुर रिद्धि रूड़ा राजा ॥ १५॥ घ० ॥ एक पारेवा दया थकी,
बे पदवी पाम्या नरिंद रूड़ा राजा । पंचम चक्रवर्त्ती चक्रवर्त्ती जाणियह,
सोलमां शांति जिणंद रूड़ा राजा ॥ १६ ॥ ६० ॥ बारमइ भवे श्री शांति जी,
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चिराकुख अवतार रूड़ा राजा ।
दीक्षा लई नइ केवल वरचा,
पहुँता मुगति मकार रूड़ा राजा ॥ १७ ॥ ६० ॥
तीजइ भव शिव सुख लाउ,
तीर्थंकर
पाम्या अनंतो नाग रूड़ा राजा ।
पदवी लाख वरस
लही,
यु जाग रूड़ा राजा ॥ १८ ॥ ६० ॥
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