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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
लोच करि आप सूर वीर संजम लीयउ, . इंद्र नइ आणि पाये लगाड्यउ ॥२॥१०॥ नगर सिणगार चतुरंग सेना सजो, पांच सइ महुल परिवार सेती । आप आगइ बतीस बद्ध नाटक पड़इ, तूर वाजइ कहूं वात केती ॥३॥ध०॥ आवियउ इंद्र अभिमान उतारिवा, अनंत गुण श्री अरिहंत एहइ । इन्द्र चउसट्टि एकठा मिली संस्तवइ, पार न लहइं तउ गान केहइ ॥४॥ध०॥ एक हाथी तणइ आठ दंतूसला, दंत दंत आठ आठ वावि सोहइ । वाविवावि आठ आठ कमल तिहाँ, आठ आठ पांखड़ी पेखतां मन मोहइ ॥शाध०॥ पत्र पत्रइ बतीस बद्ध नाटक पड़इ, कमल बिचि इंद्र बइठउ आणन्दइ ।
आठ वलि आगलिं अग्र महिषी खड़ी, वीर नई एण विधि इंद्र वांदइ ॥६॥ध०॥ इन्द्र नी रिद्धि देखी करी एहनी, हूँ किसइ गोनि राजा विचार यउ । राज नइ रिद्धि सहु छोड़ि संजम लीयउ, इन्द्र महाराज आगइ न हार चउ ॥७॥ध०॥
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