________________
श्री नमि राजर्षि गीतम्
(२७१)
श्री नाम राजर्षि गीतम् जी हो मिथिला नगरी नउ राजियउ,
जी हो हय गय रथ परिवार । जी हो राज लीला सुख भोगवइ,
जी हो सहस रमणी भरतार ॥१॥ नमि राय धन धन तुम अणगार । इन्द्र प्रशंसा इम करी जी हो,
पाय प्रणमइ वार वार ॥ नमि०॥ प्रकरणी जी हो एक दिवस तिहां ऊपनउ, ____जी हो पूरब करम संयोग । जी हो अगनि तणी परि आकरो,
जी हो सबल दाह ज्वर रोग निमि०॥२॥ जी हो चंदन भरिय कचोलड़ी,
जी हो कामिनो लगावइ काय । जी हो खलकह चूड़ी सोना तणी,
जी हो शब्द काने न सुहाइ नमि०॥३॥ जी हो एक वलय मंगल भणी,
जी हो राख्या रमणी बांहि । जी हो इम एकाकी पणउ भलउ,
जी हो दुख मिल्यां जग मांहि ॥नमि०॥४॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org