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श्री दुमुह प्रत्येक बुद्ध गीतम्
(२६६ )
बीजउ मुख प्रति बिंबियउ रे, दुमुह थयउ तिम नाम रे॥२। दु०॥ मुगट लेवा भणी मांडियउ रे, चण्डप्रद्योत संग्राम । पणि अन्याय कुशीलियउ रे, किम सरइ तेहनउ काम रे ॥३॥ दु०॥ इंद्रधज अति सिणगारीयउ रे, जोतां तृप्ति न थाय । खलक लोक खेलइ रमइ रे, महुछव मांड्यउ राय रे ॥४। दु०॥ तेहीज इंद्रधन देखीयउ रे, पड़यउ मल मूत्र मझार । हा! हा! शोभा कारिमी रे, ए सहु अथिर संसार रे॥१०॥ वयरागइ मन वालियुं रे, लीधउ संयम भार । तप जप कीधा आकरा रे, पाम्यउ भव नउ पार रे ॥६॥दु०॥ बीजउ प्रत्येक बुद्ध ए रे, दुमुह नाम रिषिराय । समयसँदर कहइ साधना रे, नित नित प्रणमं पाय रे ।।७। दु०॥
इति दुमुह नाम द्वितीय प्रत्येक बुद्ध गीतम् ।।४।। ___ श्री नाम प्रत्येक बुद्ध गतिम ढाल-नल राजा रइ देसि हो जी पूगल हुती पलाणिया नयर सुदरसण राय हो जी,
मणिरथ राज करइ तिहां । कीधउ सबल अन्याय हो जी,
__जुगबाहु बंधव मारियउ लाल ॥जु०॥१॥ मयणरेहा गई नासि होजी,
जायउ पुत्र उजाडिमइ ।
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