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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
हां हो एक तूं एक तू दिल धरूँ, नाम पण जपू महि । समयसुन्दर कहइ माहरइ, एक अरिहंत तूंहि ॥ ए० ॥३॥
श्री जिन प्रतिमा पूजा गतिम्
राग-केदारा प्रतिमा पूजा भगवंति भाखी रे,
मकरउ संका गणधर साखी रे ॥प्र. १॥ द्र पदि न ऊठि नारद देखी रे,
- जिन प्रतिमा पूज्यां हरखीरे ॥प्र. २ ॥ प्रतिमा पूजी सुर सुरियाभहरे,
रायपसेणीइ अक्षर लाभइरे ॥प्र. ३ ॥ आणंद श्रावक पूजा कीधी रे,
गणधर देवे साख ते दीधी रे ॥ प्र. ४ ॥ सोहम सामी भगवती अंगइरे,
अक्षर लिपि नइ प्रथमइ रंगहरे ॥प्र० ५ ॥ भद्रबाहु स्वामी कल्प सिद्धान्तहरे,
द्रव्य थिवर वंदइ खंतह रे ॥ प्र. ६॥ चमरेन्द्र चित्त मई उपयोग प्राण्यउरे, ___अरिहंत चेइ शरणउ जाण्यउ रे ॥ प्र. ७ ॥ प्रतिमा पूजा श्रावक करणी रे,
भवदुख हरणी पार उतरणी रे ॥ प्र. ८॥
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