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मौन एकादशी स्तवनम्
( २४१ )
अनंत चौवीसी इण परिगियो, लाभ अनंत उपवासां ताउ । ए तिथि सहु तिथि सिर राखड़ी, मिगसर सुदी ग्यारस बड़ी ॥ ६ ॥ Ata yes रह्या श्री मल्लिनाथ, एक दिवस संजम व्रत साथ । मौन ती परिव्रत इम पड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी ॥ ७ ॥ ठहरी पोसउ लीजियह, चउ विहार विधि सँ कीजियइ । पण परमाद न कीज घड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी ॥ ८ ॥ वरस इग्यार कीजइ उपवास, जाव जीव पणि अधिक उलास । ए तिथि मोक्ष तणी पावड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी ॥ ६ ॥ उजमरणू' कीजइ श्रीकार, ज्ञान ना उपगरण इग्यार इग्यार । करो काउसम्म गुरु पाये पड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी ॥ १० ॥ देहरे स्नात्र करीजे वली, पोथी पूजीजइ मन रली । मुगति पुरी कीजह दूकड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी ॥११॥ मौन इग्यारस म्होटो पर्व, श्राराध्यां सुख लहिया सर्व । व्रत पचखाण करो आखड़ी, मिगसर सुदी इग्यारस बड़ी || १२ || जेसल सोल इक्यासी समइ, की स्तवन सहू मन गमइ । समय सुन्दर कहह करउ घ्याहड़ी, मिगसर सुदि इग्यारस बड़ी ॥ १३ ॥
श्री पर्यूषण पर्व गीतम्
राग - सारंग
भल आये, पर्युषण पर्व री भलइ आये । जिन मंदिर मादल धौंकार, पूजा स्नात्र मंडाए । प० । १ ।
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