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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
दउरउ सखि पियु पाय परउतुम, मोहन लाल मनाई। समयसुन्दर प्रभु प्रेम उदक करि, अंतर ताप बुझाई ।३।मो०
श्री नेमिनाथ गौतम - राग-परजियउ। एक वीनति सुणउ मेरे मीत हो ललना रे,
मेरा नेमि सु मोह्यां चीत हो ।ल०। अपराध बिना तोरी प्रीति हो ल,
इह नहीं सज्जन की रीति हो।ल०१॥ नेमि बिन क्युरहुं बोलइ राजुल रे । अांकणी ॥ मोरइ नेमि जी प्राण आधार हो ल०,
अब जाउंगी गढ गिरनारी हो ।ल। नीकउ लेउंगी संयम भोर हो ल०,
समयसुन्दर प्रभु सुखकार हो । ल०१२।
नेमिनाथ गीतम् .
राग-मारुणी यादव वंश खाणि जोवतां जी,लाधुएक रतन नेमिजी हो। जाति उत्तम कांति दीपतउ जी, करिस्यु कोडि जतन्नाशने नेम नगीनउ मंइ पायउ सखिजी, एह अमूलिक नग्ग ! गुण गुंफी प्रेमकुन्दन जड़ी जी, राखिसि हियडलइ रंग ।।ने.
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