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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
तूं गति तूं मति तूं त्रिभुवन पति, तू
शरणागत
त्राणा ।
समयसुन्दर कहइ इह भव पर भव, पारसनाथ तूं देव
श्री नागौर मण्डन पार्श्वनाथ स्तवनम्
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प्रमाणा । जा०
पुरिसादानी पास एक करू अरदास | मुझ सेवक तणी ए, तूं त्रिभुवन वणी ए ॥१॥ दीठां अवरज देव कीधी तेहनी सेव । काज न को सरउ ए, भवसागर फिर उ ए ॥ २ ॥ हिव मुझ फलियउ भाग, मिलीयो तूं वीतराग । अशुभ करम गयउ ए, जन्म सफल थयउ ए ॥ ३ ॥ ज्ञाता भगवती सार, सूरी अधिकार | जिन प्रतिमा सही ए, जिन सारखी कही ए ||४|| अश्वसेन कुलचन्द वामा राणी नन्द | तूं त्रिभुवन तिलउ ए, भांजइ भव किलउ ए ॥ ५॥ अजरामर अरिहंत, भेट्यउ तूं भगवंत । दुख दोहग टल्या ए, मन वंछित फल्या ए ॥ ६ ॥ पास जिणेसर देव, भव भव तुम पय सेव । पास जिणेसरू ए, वंछित सुरतरू ए ॥ ७॥
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