________________
श्री तिमरीपुर-वरकाण!-पार्श्वनाथ गीतम् ( १७६ )
समस्या साद दियइ मेरउ साहिब, आरति चिंता करइ चकचूर । आसा सफल करत सेवक की, यात्रा प्रावइ सब लोक जरूर । भ०।२। पोष दसमी दिन जन्म कल्याणक, यात्रा करी में ऊगमते सूर । समयसुन्दर कहइ तेरी कृपा ते, राग वेलाउल आणंद पूर । भ०।३। श्री तिमरीपुर पार्श्वनाथ गीतम
राग-काफी तिमरीपुर भेट्या पास जिनेसर बेई । ति० । देश प्रदेश थकी नर नारी, जात्रा आवइ सू स लेई । ति०।१। सतर भेद पूजा करइ श्रावक, नृत्य करइ तता थेइ । समयसंदर कहइ सूरियाभनो परि, मुक्ति तणा फल लेइ। ति०।२। श्री वरकाणा पार्श्वनाथ स्तवनम्
राग-सारंग जागतउ तीरथ तूं वरकाणा । जा० । जात्रा करण को जग सब आवत,
सेव करइ सर नर राय राणा । जा० ॥१॥ सकल सुन्दर मूरति प्रभु तेरी,
पेखत चित्त लुभाणा । मन वंछित कमना मुख पूरति,
कामिक तीरथ निकु कहाणा । जा० ॥२॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org