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नेमिनाथ गीत
( १२७ )
चंदलिया चित्त विचारइ रे,तुतउ मृग नइ घर मंइ म राखि ।च०। एतउ सीखलड़ो सयणा, एतउ बातलड़ी वयणा। चं० आँकणी। पापी विछोहउ पाडियउ, माहरउ भंभेरयड भरतार। सीता दुःख दिखाड़ियउ, चंदा हिव छइ ताहरी वार । चं०।२। रोहिणी रंग गमाडिस्यइ, कहिस्यइ लोक कलंक । राजुल कहइ बात रूयडि, पछइ मानि म मानि मृगांक । चं०।३। वइरागइ मन वालिङ रे, गई राजुल गिरनार । समयसुन्दर कहइ सांभलउ ए, सतियां मांहि सिरदार। चं०१४॥
श्री नेमिनाथ गीतम
___राग-सुघड़ाइ नेमि जी मन जाणइ के सरजण हारा,
तुरे प्रीतम मुझ लागत प्यारा ।। नव भव नेह न मुक्या जावई,
मुगति मुगति तुझ सेतो भावइ । २ । राजुल नेमि मिले गिरनारी,
समयसुन्दर कहई बाल ब्रह्मचारी । ३।
श्री नेमिनाथ गीत
राग - आसावरी सामलियउ नेमि सुहावइ रे सखियां,
कालउ पणि गुण भरियउ रे लखियां ।। सान
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