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( १३२ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
श्री नेमिनाथ गीतम
राग-रामगिरी बिण अपराध तजि मुंनइ वालंम,
नेमि गयउ गिरनारी रे बहिनी । सामलियउ सुहावइ रे बहिनी,
बीजउ कोट दाय नावइ रे बहिनी ॥ आं० ॥ प्रियु छोड़ी पिण ₹ नवि छोडु,
मइ आगमी इक त्यारी रे बहिनी ॥१॥ पदक प्रियु तउ हूँ मोतिन माला,
हीरउ तउ हूँ मूंदरड़ी रे बहिनी। चंद्र प्रियु तउ हूं रोहिणी थाऊं,
चंदन मलय गरड़ी रे बहिनी ॥ २ ॥ प्रियु पासइ संयम लियउ राजुल,
पहिली मुगति सिधाई रे बहिनी। . मूलगी परि मत मूकी जायइ ए,
समयसुन्दर मनि भाई रे बहिनी ॥ ३ ॥
सिन्धी भाषामय श्रीनमिजिनस्तवनम् साहिब मइडा चंगी सूरति, आ रथ चढीय आवंदा हे भइणा।
नेमि मइकुंभावंदा हे । भावंदा हे मइकु भावंदा है, नेमि असोड़े भावंदा हे ।१।
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