________________
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
यह दरिसण रलिश्रामणु, श्रमरं दम जाई । जिम मुझ पहुँच आखड़ि, खड़ियां न उसाई ||८|| नारिंगपुर मंडण मणि, नमणि करइ नर नारि । समयसुन्दर एहवी नति, विनति करइ वार वार ॥६॥
( १७४ )
3
( २ )
राग - कल्याण
पाटण मांहि नारंगपुरउ री । पा० । चैत्यवंदन करि देव जुहारउ,
जिम संसार समुद्र तरउ री ॥ पा० ॥ १ ॥
आधि व्याधि चिंता सहु चूरइ,
वरी कर न सकइ को बुरउरी ।
सुन्दर रूप मनोहर मूरति,
Jain Educationa International
हार दिइ मस्तकि सेहरउ री ॥ प० ॥ २ ॥
वीतराग तथा गुण गावउ, अरिहंत अरिहंत ध्यान धरउरी ।
समयसुदर कहइ पास पसायई,
कुशल कल्याण आणंद करउरी ॥ पा०|| ३ || श्री नारंगा पार्श्वनाथ स्तवनम्
पाटण मई परसिद्ध धणी, नारंगपुर पारसनाथ तणी । आज जागतउ तीरथ एह खरउ, नित समरउ श्री नारंगपुरउ | १ |
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org