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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
संखेश्वरउ जायउ छउ तुम्हे, शक्ति नहीं किम आयु अमें। समयसुन्दर नी जयति करउ, साचउ देवत संखेश्वरउ ॥५॥
(२) सकलाप पा संखेसरउ । भाग संयोग भले परि भेट्यउ, देख्यो सुन्दर देहरउ ।शस० वरण अठारै यात्रा करण कु, आवै मूस ले आकरउ। तूंतिण की मन कामना पूरइ, अब कपाल मोहे उद्धरउ।२।स०) जागतउ तीरथ तुजगनायक, संकट विपति सबै हरउ। पाटण संघ सहित बच्छराज साह, समयसुंदर कहइआणंद करउ ।
(३) राग-धन्यासिरी संखेसरउ रे जागतउ तीरथ जाणियइ रे,
__ हां रे जी जात्रा करइ सहु कोय । आणंद अति घणउ रे, तु तेहनउ रे,
संकट विकट सबे हरइ रे ॥१॥ सं०॥ सामी तु तउ रे, परतिख परता पूरवइ रे,
___ हां रे मन वंछित दातार । सुरतरु सारिखउ रे, पृथ्वी माहे रे,
लोके लीधउ पारखउ रे ॥२॥ सं०॥ स्वामी तूंतउ रे, त्रिभुवन केरउ राजियउरे,
हां रे वामा कूखि मल्हार ।
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