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अनुक्रमणिका
( २५ )
१० फुटकर सवैया , ३ दीक्षा ले सूधी पाली जइ ४५७ ४६१. नब वाड़ शील गी. ,, १३ नवबाड़ सेती शील पालउ ४५८
(सं० (१६७० अह.) ४६२. बारह भावना गी. गा.१५ भावना मन बार भावउ ४५६ ४६३. देवगति प्राप्ति , , ६ बारे भेद तप तपइ गति ।
पामइ जी ४६१ ४६४. नरकगति प्राप्ति ,, ,, १० जीव तणी हिंसा करइ ४६२ ४६५ व्रत पञ्चक्खाण ,, ,, ११ बूढा ते पिण कहियइ बाल ४६३ ४६६. सामायक ,, ५ सामायक मन सुद्ध करउ ४६५ ४६७. गुरु वंदन गीतम् , २ हां मित्र म्हारा रे ४६८. श्रावक १२ व्रत कुलकम् श्रावक ना व्रत सुणजो बार ४६५
(सं.१६८६ बीकानेर)गा.१५ । ४६६. श्रावक दिन कृत्य कुछ ,, १४ श्रावक नी करणी सांभलउ ४६७ ५००. शुद्ध श्रावक दुष्कर मिलन कइयइ मिलस्यइ श्रावक एहवा ४६९
(२१ गुण गर्भित) गीत गा २१ ५०१. अंतरङ्ग विचार गी. गा. ४ कहउ किम तिण घरि हुयइ
भली बार ४७३ ५०२. ऋषि महत्त्व गीतम् गा.२ बइठि तखत्त हुकम्म करइ ४७३ ५०३. पर प्रशंसा , , ७ हुं बलिहारी जाऊँ तेहनी ४७४ ५०४. साधु गुण ,, ,, ३ तिण साधु के जाऊँ बलिहारे ४७४ ५०५. ,, ,, , ३ धन्य साधु सजम धरइ सूधो ४७५ ५०६. हित शिक्षा गीतम् ,,१० पुण्य नमू कइ विनय न चूकउ ४७५ ५०७. श्री संघ गुण गीतम् , ३ संघ गिरुयउ रे ५०८. सिद्धांत श्रद्धा सज्झाय,,६ आज आधार छह सूत्र नउ ४७७ ५०६. अध्यात्म सज्झाय , ८ इण योगी ने आसन दृढ कीना ४७७ ५१०. श्रावक मनोरथ गी. , ६ श्रीजिनशासन होमोटउ ए सह४७५ ५११. मनोरथ गीतम , ८ ते दिन क्यारे आवसे ४७६
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