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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
४६८. निरंजन ध्यान गीतम् गा. २ हां हमारइ पर ब्रह्म ज्ञानं ४४६ ४६६. परब्रह्म गीतम् , ३ हुँ हमारे पर ब्रह्म ज्ञानं ४४६ ४७२. जीषदया गीतम् , ३ हां हो जीवदया धरम वेलड़ी ४४७ ४७१.वीतरागसत्यषचन गी ,, ३ हां हो जिनधर्म जिनध्रम सहु
कहइ ४४७ ४७२. कर्म निर्जरा गीतम् ,, ५ कर्म तणी कही निर्जरा ४४७ ४७३. वैराग्य सज्झाय , ५ मोक्ष नगर मारु सासरूँ ४४८ ४७४ क्रोध निवारण गी. , ३ जियुरातू म करि किण रोस ४४६ ४७५. हुंकार परिहार गी , २ जहां तहां ठउर ठ र हूँ हूँ हूँ ४४६ ४७६. मान निवारण गी. ,, ३ मूरख नर काहे कुकरतगुमान४४६ ४७७ , गी. , ३ किसी के सब दिन सरिखे न .
होइ ४५० ४७८. यति लोभ निवा. गी. , २ चेला चेला पदं पदं ४५० ४७६. विषय निवारण , , ३ रे जीव विषय थी मन वालि ४५१ ४८०. निन्दा परिहार , ,. ४ निन्दा न कीजई जीव पराई ४५१ ४८१. निन्दा वारक ,, ,, ५ निन्दा म करजो कोई नी.
पारकीरे४५१ ४८२. दान गीतम , ४ जिनवर जे मुगतइ गामी ४५२ ४८३.शील गीतम , ३ सीलव्रत पालउ परम सोहा
मणउ रे ४५३ ४८४. तप गीतम् ,, ३ तप तप्या काया हुई निरमल ४५३ ४८५. भावना गीतम् , ३ भावना भावज्यो रे भवियां ४५४ ४८६. दान-शील-तप-भाव गूढा ग्रहपति पुत्र ऋतूत करउ ४५४
गीतम् गा. ३ ४८७. तुर्य वीसामा , २ भार वाहक नइ कहा ४५५ ४८८ प्रीति दोहा , ४ कागद थोड़ो हेत घणउ ४५५ ४८६. अंतरंग शृङ्गार गीतम् ,, १३ हे बहिनी महारउ जोयउ
सिणगार ४५६
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