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( १२ )
समय सुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
मल्लि जिन स्तवन
राग सारंग मल्हार
मल्लि जिन मिल्यउ री मुगति दातार ।
फिरत फिरत प्रापति मई पायउ, अरिहंत नुं आधार | १ | म ० | तुम्ह दरसण विन दुख सह्या बहुला', ते कुण जाणइ पार। काल अनंत भयो भवसागर, अब मोहि पार उतार | २ | म० । सामल वरण मनोहर मूरति, कलस लांछण सुखकार । समयसुन्दर कहै ध्यान एक तेरउ, मेरे चित्तर मझार | ३ | म० । मुनिसुव्रत जिन स्तवन
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राग - रामगिरी
सखि सुन्दर रे पूजा सतर प्रकार ।
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श्री मुनिसुव्रत सांमी केरउ रे, रूप बण्यो जगिर सार | स०|१| मस्तक मुकट हीरे जड़घउ रे, भालइ तिलक उदार । बांहिं मनोहर बहिरखा रे, उर मोतिन कउ हार | स०|२| सामल वरण सोहामणो रे, पदमा मात मल्हार । समयसुन्दर कहइ सेवतां रे, सफल मानव अवतार | स०|३|
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नाम जिन स्तवन
राग - आसाउरी
नमु नमु नमि जिन चरण तोरा,
हूँ सेवक तूं साहिब मोरा । न० । १ । १ बहु । २ हृदय । ३ अति । ४ पहिर्या । ५ पामीजइ भव पार ।
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