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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
चन्द्रानन १ सुचन्द्र २ अग्गिसेण ३ नंदसेण ४ इसिदिन ५ वयधारि ६ सामचंद ७ जुत्तसेन = अजितसेन : शिवसेन १० देवसेन ११ नक्खत्तसत्थ १२ अस्सिजल १३ अनंत १४ उपसंत १५ गुत्तिसेण १६ अतिपास १७ सुपास १८ मरुदेव १६ सीधर २० सामकोठ २१ अग्गसेण २२ अग्गिपुत्त २३ वारिसेण २४ । इति श्रीसमवायांगसूत्रोक्त ऐरवरतक्षेत्र २४ तीर्थकरनामानि ।
[ स्वयं लिखित प्रति से] विहरमान-धीसी-स्तवनाः
१. सीमंधर जिन गीतम
- राग-मारूणी सीमंधर सांभलउ, हुं वीनति करूँ कर जोड़ि । सी। तूं समरथ त्रिभुवन धणी, मुनइ भव बंधण थी छोड़ि । सी०।१। तुम मूविचि अंतर घणउ, किम करूँ तोरी सेव । देव न दीधि पांखड़ी, पणि दिल मई तुइक देव । सी०।२। चंद चकोर तणी परिं, तूं वस्यउ मोरइ चीति । समयसुन्दर कहइ ते खरी, पे परमेश्वर स्युप्रीति ।सी०३।
२. युगमंधर जिन गीतम्
___ राग-गौड़ी तूं साहिब हूँ सेवक तोरउ, वीनतड़ी अवधारि जी। हुं प्रभु तोरइ सरणै आयउ, तुमुझ नंइ साधारि जी।१।
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