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समय सुन्दरकृति कुसुमाञ्जलि
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पूरव भव राख्यो पारेवो, तिम मुझनै सरह राखि जी । दीनदयाल कृपा करि स्वामी, मुझ में दरसण दाखि जी । ३ । ५० | शांतिनाथ सोलमउ तीर्थंकर, सेवे सुरनर कोडि जी । पाय कमल प्रभु ना नित प्रणमइ, समयसुन्दर कर जोड़िजी ।४ ६० ।
कुन्थु जिन स्तवन राग भैरव
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कुंथुनाथ कुं करू' प्रणाम, मन वंछित पूरवइ सुख काम | कुं० १। अंतरजामीण अभिराम अहिनिस समरू अरिहंत नाम | कु०२ | वीनति एक करू मोरा स्वाम, द्यो मोहि मुगति पुरी कौ धाम | कु०३ | किसके हरि हर किसके राम, समयसुन्दर करे जिनगुण ग्राम | कु०४ |
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अर जिन स्तवन
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राग- नट्टनारायण
अनाथ र गंजणं । य० ।
मोह महीपति मान विहंडण, भवियण के दुख भंजणं । अ० | १ | मालवकौसिक राग मधुर धुनि, सुरनर को मन रंजणं । सुन्दर रूप वदन चंद सोभित, लोचन निरंजन खंजनं । ०|२| हरि हर देव प्रमुख व्यासंगी, तूं सब सुख को मंजर । समयसुन्दर है देव' तू साचो, जो निराकार निरंजणं । श्र० ३ |
१ खंडण । २ दोष । ३ भंजरण | ४ सो देव सांचउ ।
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