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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
( १३ )
जउ तू जलधर तउ हूँ मोरा, जउ तूं चंद तउ हूँ भी चकोरा । न० । २ । सरणइ राखि करइ क्रम जोरा, समयसुन्दर कहइ' इतना निहोरा । न० । ३ ।
नेमि जिन स्तवन
राग--गूजरी यादव राय जीवे तूं कोडि वरीस । गगन मंडल उडत प्रमुदित चित, पंखीयां देतु आसीस । या०।१॥ हम ऊपरि करुणा तई कीनी, जग जीवन जगदीस । तोरण थी रथ फेरि सिधारे, जोग ग्रह्यो सुजगीस ।या०।२। समुद्र विजय राजा कउ अंगज, सुर नर नामइ सीस। समयसुन्दर कहै नेमि जिणंद कट, नाम जपूनिसदीस।या०।३।
पाव जिन स्तवन
राग-देवगंधार माई आज हमारइ आणंदा। पास कुमार जिणंद के श्रागइ, भगति करति धरणिंदा। मा०।११ तता तताइ थेइ पद ठमकावति, गावत मुख गुणवृन्दा।मा०।२। शास्त्र संगीत भेद पदमावति, नृत्यति नव नव छंदा ।मा०।३। सफल करत अपनी सुर पदवी, प्रणमत पाय अरविंदा । मा०।४। समयसुन्दर प्रभु पर उपगारी, जय जय पास जिणंदा। मा०॥५॥ १ करइ।२ सिधाये।३थेइथेइथेइ तत थेइ पद ठावति।४ श्री जिणचंदा.
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