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२२ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * मदान खुरई अटेर हंतिकात सब जगह लम्बेच रहे हैं और हैं।
श्रीचन्द्रप्रभ भगवानकी स्फटिककी मूर्ति जो इस समय फीरोजाबादके प्रसिद्ध चन्द्रप्रभके जिन मन्दिरों में विराजमान है सुनते हैं कि प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान चन्दवार (चन्द्रपाट) से आई हैं ऐसी किम्बदन्ती है कि जब कोई मुसलमान ब-दशाहने चढ़ाई की उससे चन्दवारका राजा शका नहीं तब मोरी ( सुरंग ) द्वारा राजा निकलकर जिन प्रतिमाओं का समवशरण ( समूह ) जमुनामें जो किलेके किनारे वही है उस जमुनामें अविनयके भयसे पधराकर राजा सकुटम्ब निकल गया फिर कुछ दिनोंके बाद उन प्रतिमाके विषयमें स्वम पाया कि जमुनामें स्फटिककी प्रतिमायें हैं सोनिकाल लो सो एक मल्लाहने निकाली । दो स्फटिककी चन्द्रप्रभकी प्रतिमाय थी। सो एक तो उस मल्लाहसे लाकर फीरोजाबाद के मन्दिरमें विराजमान हुई और दूसरी अब भी एक मल्लाहके घरमें है ऐसा सुनते हैं।
और एक मूर्ति श्रीचन्द्रप्रभ स्वामीकी अष्टप्रतिहार्य युक्त