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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * २१ आप दरख्वास्त देवे हम कुछ नहीं कर सक्ते । तब हमलोगों को मालूम हुआ मुकद्दमा लड़े श्रीमान् बंशीधर सुमेचरचन्द वरोलिया गोत्रोत्रीय लँबेच जैन और उनके भानेज श्रीमान् बाबू ताराचन्द परिया गोत्रीय लॅवेचूको उत्तेजित कर तथा वलनगंजके सब पश्चोंको मिलाकर मुकद्दमा लड़े। ___कई अदालतोंमें फोजदारी दिवानी मुकदमा चला आखिरमें हाईकोर्ट इलाहाबाद (प्रयागमें) श्रीमान् तेजबहादुर सा वेरिष्टर साहब द्वारा मुकदमा सम्वत् विकम २००३ या या ४ के बीचमें तीर्थक्षेत्र श्री नेमिनाथकी जन्म नगरीका खेवट दिगम्बरियोंके नाम हो गया ईतिहासमें इतने लिखने का कारण रामपालजी भट्टारकके नामसे हुआ इस सरीपुरके आस-पास लम्बकञ्चुक लॅवेच समाज बसता है और यह क्षेत्र लवेच समाजके ही रक्षाधीनमें हैं। सूरीपुर वटेश्वरके आस-पास इतने ग्राम है। वाह जिसमें २० के करीब लँबेचु ओंके घर हैं पास ही कचोरा घाटका ग्राम है। वहाँ भी लँबेच रहते हैं जसवन्त नगरमें लवेच रहते हैं यहाँ भी २० घर है। कचोरामें चार-पांच घर है तथा नोगाउँ पारना जैतपुर साहिपुरा राजाकी हाट मीठेपुर सिरसागंज (कोरारा)