Book Title: Jain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Author(s): Priyalatashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
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५.४.१ तीर्थंकरों के पंचकल्याणक ५.४.२ तीर्थंकर परमात्मा का निर्दोष व्यक्तित्व ५.५ तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार : तुलनात्मक विवेचन
तीर्थंकर एवं बुद्ध का अन्तर तीर्थंकर एवं अवतार की समानता तीर्थंकर और अवतार में अन्तर
सिद्धों का स्वरूप ५.१० सिद्ध परमात्मा के ३१ गुण ५.११ सिद्ध परमात्मा के पन्द्रह भेद
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३५२ ३५३ ३५६
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अध्याय ६ : त्रिविध आत्मा की अवधारणा एवं आध्यात्मिक
विकास की अन्य अवधारणाएँ ६.१ लेश्या सिद्धान्त
३६१ कर्म विशुद्धि के दस स्थान (गुणश्रेणियाँ)
३७७ आध्यात्मिक विकास के सोपान गुणस्थान, परिभाषा एवं स्वरूप ३७९
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अध्याय ७: आधुनिक मनोविज्ञान और त्रिविध आत्मा की अवधारणा
अन्तर्मुखी एवं बहिर्मुखी व्यक्तित्व की अन्तरात्मा और बहिरात्मा से तुलना
३९९ फ्रायड की त्रिविध अहम् की अवधारणा और त्रिविध आत्मा की अवधारणा
४०१
अध्याय ८ : उपसंहार
उपसंहार
४०७
सहायक ग्रन्थ सूची
४१७
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