Book Title: Jain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Author(s): Priyalatashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP
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जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा
द्वारा त्रिविध आत्मा का विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
२.४.१४ श्रीमद्राजचन्द्र एवं त्रिविध आत्मा
श्रीमद्राजचन्द्र इस युग के महान् आध्यात्मिक साधक हैं। उन्होंने आत्मसिद्धि आदि स्व-रचित ग्रन्थों में त्रिविध आत्मा का स्पष्ट रूप से तो कहीं उल्लेख नहीं किया है, किन्तु उनके साहित्य में प्रसंगानुसार बहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा के स्वरूप का विवेचन प्रकीर्ण रूप से मिल जाता है। ___इस प्रकार हम देखते हैं कि लगभग ईसा की पाँचवीं-छटी शताब्दी से लेकर आधुनिक काल तक जैनाचार्य त्रिविध आत्मा की चर्चा करते रहे हैं। अग्रिम पृष्ठों में हम यह देखने का प्रयत्न करेगें कि विभिन्न जैनाचार्यों ने क्रमशः बहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा के स्वरूप का निर्वचन किस रूप में किया है।
।। अध्याय २ समाप्त।।
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