Book Title: Jain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Author(s): Priyalatashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP

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Page 475
________________ ४२० जैन दर्शन में त्रिविध आत्मा की अवधारणा - ग्रन्थ, लेखक/सम्पादक/प्रकाशन तिथी प्रकाशक/प्राप्ति स्थान जैन धर्म - चतुर्थ संस्करण, मंत्री साहित्य विभाग, -सिद्धान्ताचार्य श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री मा.वि. जैन संघ, मथुरा जैन, बौद्ध और गीता के आचार | पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, आई. दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, -डॉ. | टी.आई. रोड, सागरमल जैन वाराणसी तत्त्वानुशासन (हिन्दी अनुवाद सहित), वीर सेवा मन्दिर, दिल्ली | -नागसेनसूरि तत्त्वार्थवार्तिक भाग १-२ (हिन्दी सार भारतीय ज्ञानपीठ, सहित) प्रथमावृत्ति - भट्ट अकलंकदेव, काशी -सम्पादकः प्रो. महेन्द्रकुमार जैन (वीर सं. २४६६) तत्त्वार्थसार - अमृतचन्द्रसूरि; सा.वि.प्र.स., -सम्पा. बंशीधर शास्त्री (वीर सं. कलकता २४४५) तत्त्वार्थसूत्र (प्रथम आवृत्ति) - | भारतीय दिगम्बर जैन संघ, उमास्वामी -सम्पा. पं. कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री (वीर सं. २४७७) तत्त्वार्थसूत्र विवेचन पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, आई. --पं. सुखलाल सिंघवी टी.आई. रोड, वाराणसी तत्वार्थवृत्ति (हिन्दी सार सहित), भारतीय ज्ञानपीठ, -श्रुतससागर; सम्पा. महेन्द्रकुमार जैन काशी तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकम् - विद्यानन्दि; गांधीनाथारंग-जैन ग्रन्थशाला, सम्पा. पं. मनोहरलाल (वीर सं. २४४४) | निर्णयसागर प्रेस, बम्बई तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सभाष्य परमश्रुत प्रभावक जैन मण्डल, (हिन्दी अनुवाद सहित) (१६३२) बम्बई २ । तर्कभाषा - केशव मिश्र स.सी., चौक, वाराणसी तर्कसंग्रह (सप्तम संस्करण), हरिदास संस्कृत ग्रन्थमाला, संस्कृत -अन्नम भा (वि.सं. २०२६) सीरीज आफिस, वाराणसी तिलोयपण्णत्ति (हिन्दी अनुवाद सहित जीवराज जैन ग्रन्थमाला (प्रथम संस्करण) - यति वृषभ (वि.सं. १६६६) तैत्तिरीय उपनिषद् गीता प्रेस, गोरखपुर द्रव्यसंग्रह - नेमिचन्द्राचार्य (वीर सं. श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल २४३३) धम्मपद - अनुवादकः राहुल महाबोधि सभा, सांस्कृत्यायन (१६३३) सारनाथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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