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अध्याय ७
आधुनिक मनोविज्ञान और त्रिविध आत्मा की अवधारणा
७.१ अन्तर्मुखी एवं बहिर्मुखी व्यक्तित्व की अन्तरात्मा और
बहिरात्मा से तुलना त्रिविध आत्मा की इस अवधारणा की आधुनिक मनोविज्ञान - विशेष रूप से व्यक्तित्व मनोविज्ञान और असामान्य मनोविज्ञान से बहुत कुछ समरूपता देखी जाती है। व्यक्तित्व मनोविज्ञान में व्यक्तित्व के दो प्रकारों का उल्लेख मिलता है, जिन्हें अन्तर्मखी और बहिर्मुखी कहा जाता है। हम देखते हैं कि त्रिविध आत्मा की अवधारणा में भी अन्तरात्मा और बहिरात्मा का उल्लेख है। यदि हम तुलनात्मक दृष्टि से देखें, तो जैनदर्शन में जो बहिरात्मा के लक्षण बताए गये हैं, प्रायः वही लक्षण आधुनिक मनोविज्ञान में बर्हिमुखी व्यक्तित्व के हैं। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार बहिर्मुखी व्यक्ति सामाजिक सम्बन्धों में रुचि लेता है। वह दूसरे व्यक्तियों के साथ मिलने तथा उठने-बैठने में अधिक रुचि रखता है
और इसमें आनन्द की अनुभूति करता है। उसकी जीवनदृष्टि यथार्थवादी और भोगपरक होती है। अच्छा खाना-पीना और सुख-सुविधाओं का भोग करना ही उसके जीवन का लक्ष्य होता है। स्वभाव से वह हंसमुख होता है। वह सामाजिक जीवन के क्रियाकलापों में न केवल अधिक रुचि रखता है, अपितु अपने उन सामाजिक सम्बन्धों को जीवन्त बनाए रखता है। आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार बर्हिमुखी व्यक्ति भावनाशील होता है। वह निर्णय तो जल्दी लेता है, किन्तु उसके क्रियान्वयन में देरी करता है। बर्हिमुखी सामान्यतः व्यवसाय एवं खेलकूद तथा सामाजिक और
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