________________ बड़ा बातूनी और झूठा है, समाज में इसका आदर घट रहा है / १४-रमा की साड़ी कालो और श्यामा को सफेद है। १५-यह वेग से बहने वाली नदी है, अतः इसे तैर कर पार करना आसान नहीं / १६-मह घोड़ा बड़ा तेज दौड़ता है, होशियार सवार' ही इसकी सवारी कर सकता है / १७-क्या यह महाराज दशरथ की प्यारी धर्मपत्नी कौसल्या हैं ? सीता के निर्वासन से इसके आकार में बहुत बड़ा विकार हो गया है। संकेत-इस अभ्यास में विशेषण और विशेष्य को समानाधिकरणता दिखानी इष्ट है। विशेषण वाक्य में गौण होता है और विशेष्य प्रधान / जिस का क्रिया में सीधा अन्वय हो वह प्रधान होता है। विशेषण का स्वतन्त्रतया क्रिया में अन्वय न होने से यह अप्रधान है। अतः यह कारक नहीं। तो भी विशेषण के वे ही विभक्ति, लिङ्ग और वचन होते हैं जो विशेष्य के / जैसे(१)सुन्दरीय सृष्टिविविभुत्वं प्रख्यापयति, इतो ज्यायांस्तु सः / २-मूनृताऽस्याः कन्यकाया वाक, इयमभिजाता स्यात् / ७-भरतवर्षस्था आतिथ्येन विश्रु ताः / वैदेशिका इह गृहलभ्यं सुखं लभन्ते / यहाँ 'मातिथ्याय' कहना ठीक न होगा, क्योंकि यहाँ 'तादर्थ्य' नहीं, हेतु है। १२-अनभिज्ञोऽसि नितराम्, अनधीतरामायण इव ब्रवीषि / १३-वाचालो देवदत्तोऽनृतिकश्च, हीयतेऽस्य लोके समादरः / यहाँ समाज के स्थान में लोक शब्द का प्रयोग ही व्यवहारानुगत है। १४-रमायाः कालिका* शाटो, श्यामायाश्च श्येनी / 'श्येत' (श्वेत) के स्त्रो लिंग में श्येता और श्येनी दो रूम होते हैं। १५-वेगवाहिनीयं वाहिनी, नेयं सुप्रतरा। १६-पाशुरयमश्वः (शीघ्रोऽयं तुरङ्गः) / १७-कथं महाराजदशरथस्य प्रिया धर्मदारा इयं कौसल्या / यहाँ 'महाराजदशरथस्य' व्यधिकरण विशेषण है / इयम्' भी सार्वनामिक विशेषण है / अतः विभक्ति, लिङ्ग, वचन में कौसल्या विशेष्य के अधीन है। 1 अश्ववार, अश्वारोह, सादिन्-पुं० / 2 विकार, विपरिणाम, परिवर्त, अन्यथाभाव-पु० / * यहाँ साड़ी स्वतः काली नहीं, किन्तु रंग देने से काली है, अतः यहाँ 'कालाच'(५।४।३३)इस सूत्र से कन् प्रत्यय होगा। हाँ काली गौ: ऐसा कह सकते हैं / काली निशा (अन्धेरी रात) ऐसा भी।