________________ ( 106 ) अभ्यास-४६ (चिञ् चुनना) १-वह अच्छा भोजन करता है और भली प्रकार व्यायाम करता है, इसलिये उसका शरीर पुष्ट हो रहा है (उप+चि)। २-व्यायाम से रक्त को गति' सुधर जाती है,' 'चर्बी कम हो जाती है ( अप+चि, कर्मणि ) शरीर हल्का और नीरोग' हो जाता है / ३-उसने बाग में बेलों से बहुत से फूल तोड़े (अव+चि ) और उनसे एक सुन्दर सेहरा बनाया। ४.-बनिया धन बटोर रहा है (सम् +चि) और उसे खर्च (विनि+युज) नहीं करता / ५-हम निश्चय करते हैं (निस+चि) कि जब तक हम स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक विश्राम नहीं कर करेंगे / ६-पुलिस अपराधियों की खोज निकाल (वि+चि) प्राशङ्कित षड्यन्त्र का पता लगाए / (उप+लम्) / ७-आर्य लोग अध्यापक को प्राचार्य कहते हैं, क्योंकि वह अपने शिष्य की बुद्धि को बढ़ाता है (आ+ चि)।८-वह हार गूथने के लिये फूल एकत्रित करता है (सम् + उद्+चि)। ह-एक स्थान में इकट्ठी हुई (अभि+उद्+चि ) युक्तियाँ प्रभाव रखती हैं / १०–मैं भली प्रकार जानता हूँ (परि+चि ) कि वह मीठा बोलता है, और किसी के "चित्त को ठेस नहीं पहुँचाता। ११-कहते हैं कि मांसाहारी लोग केवल मांस को ही बढ़ाते हैं ( उप+चि), बुद्धि को नहीं। १२-*मैं इस बात का ठीक ठीक निश्चय नहीं करता (वि+निस्+चि) कि यह (सीता का स्पर्श) सख कारक है या दुःख कारक है। १३-नौकर शय्या पर चादर विछाता है (प्रा+नि)। संकेत–१–स पुष्टिप्रदमन्नं भुङ्क्ते सुष्ठु व्यायच्छते च, तस्मात् प्रचीयन्ते तस्य गात्राणि / ३-उद्याने प्रतानिनीर्बहूनि. कुसुमान्यवाचिनोत् ( वह्वीः समनसोऽवाचेष्ट ) / 'प्रतानिनीः' द्वितीया बहुवचन हैं। एवं चि यहाँ द्विकर्मक है। गौणकर्म में पञ्चमी का भी प्रयोग हो सकता है, यथा-स उद्याने प्रतानिनीभ्यो बहूनि कुसुमान्यवाचिनोत् / ५–वयं निश्चिनुमः ( निश्चिन्मः ) न वयं विश्रमिष्यामो यावन्न स्वातन्त्र्यं प्रतिलभामह इति / ६-अभ्युच्चितास्ताः 1-1 साधू भवति / 2 मेदस्-न / 3 परिलघु-वि० / 4 स्वस्थ, आरोग्य, नीरुज, निरामय, कल्य-वि० / 5-5 न दुनोति चेतः / ६-शक् स्वा० प०, दिवा० उ०।