Book Title: Anuvad Kala
Author(s): Charudev Shastri
Publisher: Motilal Banarsidass Pvt Ltd

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Page 261
________________ ( 210 ) जाता तो उसे पीसे कौन ? शीतला की मां कहती-चार दिन के लिये आई हूँ तो क्या चक्की चलाऊँ ? सास कहती-खाने के बेर बिल्ली की तरह लपकेंगी', पीसते तो क्यों जान निकलती है ? विवश होकर शीतला को अकेले.पीसना पड़ता। भोजन के समय वह महाभारत मचता कि पड़ोस वाले तंग आ जाते / शीतला कभी मां के पैरों पड़ती, कभी सास के चरण पकड़ती। दोनों ही उसे २घुडक देती। माँ यह कहती तूने हमें यहाँ बुलाकर हमारा पानी उतार लिया। सास कहती-मेरी छाती पर सौत लाकर बैठा दी, अब बात बनाती है ! बेचारी के लिये कोई माश्रय न था। संकेत-प्रातःकाल""""गुंथ जाते-कल्य एव कलिरारभ्यत बध्वाः श्वश्रः पुत्रस्य श्वश्र वा श्यालश्च भगिनीपतिना समं दृढमकलहायेताम् / कभी तो अन्न के....""नौबत न आती-कदाचिदन्नाद्यवैकल्यादाहारो न निरवतत, कदाचिन्निवृत्तोऽप्यसो शापप्रतिशापाभ्यां भोक्तुं नापार्यत / भोजन के समय... तग आ जाते-भोजनवेलायां च तथोग्रो विग्रहोऽभूद्यथा प्रतिवेशिनो निविण्णा अभवन् / हमें यहाँ बुलाकर....."लिया-मामिह संनिधाप्य मानो मे ग्लानि नीतः ( गौरवं मे विग्लापितम् ) / 1-1 अभिपतिष्यन्ति / 2-2 तर्जयेते / 3--3 (अक्षिगतां) सपत्नी मत्साम् ख्यमानीय ( मया समानाधिकरणतां प्राप्य ) सम्प्रति व्यपदिशसि ?

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