________________ ( 136 ) हुआ। 5- वह (शिव) चराचर पदार्थों की उत्पत्ति स्थिति तथा नाश का कारण होने से मुझे मान्य है / ६-ज्येष्ठ के पहले दस दिन लोग प्रतिदिन नदियों में नहाते हैं, और प्रत्येक मन्दिर देखते हैं / ७-बनारस गंगा के किनारे पर बसा हुआ प्राचीन नगर है, जहां बहुत से हिन्दू प्रतिवर्ष यात्रा के लिये जाते हैं / ६-उसके बाण निश्चय से वज्र के समान शक्ति वाले हैं पोर वायु के समान वेगवाले२ हैं / १०-जो कार्य के समय मांगता है वह निन्द्य नौकर और घटिया मित्र है। 11- राजसभा कम से कम तीन सदस्यों की और अधिक से अधिक दस सदस्यों की होनी चाहिये / १२-अपनी वस्तुओं में संकोच कसा ? पर हम जंगल में रहनेवाले हैं, हमें रथ चलाने का अभ्यास नहीं। अभ्यास--२१ ( समास ) १-'अत्यधिक बलवाला हाथी मंडराते हुए मस्त भ्रमर के पैरों से टकराया हुमा क्रोध नहीं करता। २-पिंगलक नाम का सिंह करटक और दमनक (दोनों) को राज्य का भार सौंप कर संजीवक के साथ सुभाषितों से पूर्ण वर्तालाप करता हुआ बैठा है / ३-किसी एक जंगल में अनेक प्रकार के जलजन्तुओं से सुशोभित एक बहुत बड़ा तालाब है। ४-तब भूख से सूखे हुए कण्ठवाला तालाब के किनारे बैठा हुआ एक बगुला मोतियों६ की लड़ी के समान बहते हुए ग्रांसुओं से पृथ्वी को सींचता हुआ रोने लगा। ५-उसके ऐसा कहने पर कैकड़े के संडासी (सन्देश) के समान दोनों जबड़ों से जकड़ी गई मृणाल के समान श्वेत गर्दनवाला वह कुलीरक मर गया / ६-किसी धोबी के घर में नील से भरा हुआ बड़ा भारी बर्तन तैयार पड़ा था। ७-अन्य गीदड़ों के कोलाहल को सुन कर शरीर में रोंगटों के खड़े हो जाने से प्रानन्द के आंसुओं से पूर्ण नेत्रोंवाले उस गीदड़ ने भी उठकर ऊंचे स्वर से चीखें मारनी शरू कर दी। ८-कभी हेमन्त के 1. वज्रसाराः। 2-2. वातरंहसः, मारुतवेगाः। 3--3. अमितबलो मतगजः / 4.-4. उद्ममन्मत्तचञ्चरीकचरणाहतः / 5.-5. नानाजलचरसनाथम् / 6--6. मौक्तिकसरसंनिभरथुप्रवाहैः। 7. नीली। 8-8. हृष्टलोमा, हृषितलोमा, कण्टकितगात्रः, रोमाञ्चितकलेवरः / 6. प्रकृष्टः / रवितुमारब्धः /