________________ [ 173 ] में ग्रस्त है / २१-बांस की बनी हुई ये टोकरियां' कितनी सुंदर लगती हैं, यद्यपि ये देरतक नहीं चलेंगी। संकेत-१-यदा विभावरी व्यभासीत्तदा द्वारिकामभि प्रायाम / ३-तो उसने....."तदा तया स बलाद्धस्ते धृतः / ४-यथा रामो नृतमस्तथा सीतापि स्त्रितमा (स्त्रीतमा)। यहाँ 'नद्याः शेषस्यान्यतरस्याम्' (6 / 3 / 43) से पूर्व पद को विकल्प से ह्रस्व होता है / ५-हा, लुब्धो वृषलः शीतेन / तपस्वी नैकमपि बासः परिधत्ते / 'लुब्ध' के इस अर्थ के लिये 'लुभो विमोहने' (7 / 2 / 54) की वृत्ति देखो / ७-तू मेरा क्या बिगाड़ेगा-(क्रुद्धः) किं मां करिष्यसि / ऐसा ही शिष्ट व्यवहार है / देखो महा० वन० 206 / 24 / ६-शौयं च निर्भीकता च दया च दाक्षिण्यं चेति सहजाताः पार्थेन गुणाः। १०-काकः कायति, पिकश्चापि कायति / पूर्वः कारव इत्युच्यते, इतरस्तु कलरवः / १४-पङ्कजानि प्रातरुत्कुचन्ति सायं च संकुचन्ति / १६-परमकण्ठेन (महता कण्ठेन, तारस्वरेण) किं क्रोशसि ? नहि ते हस्तस्त्रुटितः पादो वा भग्नः / १७-येन दोषेण स संभावितः, न जातु स तस्मिन्स्वप्नेपि संभाव्यते / यहाँ संभावितः-संयोजितः, अभियुक्तः / १८-अस्य कशिपुन उपबर्हणं मलीमसं जातमिति परिवर्तयेदम् / कशिपु (नपुं०) अन्न और आच्छादन (एक साथ दोनों) का वाचक भी है। अभ्यास-२६ १-ज़रा ठहरो, मैं अभी आया, आप को देर तक नहीं रोकूँगा। २-*मेरी इच्छा है कि किसी तरह राम मेरे जीते जी राजा बन जाय / ३-यह समतल मार्ग है, इस पर चलना आसान है / ४-२अपनी प्रतिज्ञा को पूर्ण करो२, परिणाम को मत सोचो। ५-तब पावनी जाह्नवी के तोर पर स्थित राम और लक्ष्मण ने स्नान किया, और आचमन करके 3 सन्ध्योपासन किया / ६-पाज हमारे पास ठहरो, कल सबेरे चले जाना / क्या जल्दी है ? यह भी तो तुम्हारा अपना घर है / ७-मैं पहले, मैं पहले-इस प्रकार प्रसन्नचित्त छात्र गुरु के आदर्शों का पालन करते हैं। ८-रात भर आकाश बादलों से घिरा रहा, दिन निकलते ही न जाने बादल कहां चले गये। ६-यदि किसी दूसरे कार्य में विघ्न न हो तो अपने नौकर को कुछ मिनटों के लिये हमारे साथ बाजार तक 1-1. त्वचिसारस्य विकारा इमे करण्डाः / 2--2. प्रतिज्ञामपवर्जय / 3-3. कृतोदको / 3-3. उदितेऽहनि (रा० 2 / 14 / 42) / 5-5. कार्यान्तरान्तरायमन्तरेण / 6.-6. काश्चित्कलाः (द्वितीया)।