________________ ( 201 ) प्रमाण है / अब आत्महत्या करने में..."तदाऽऽत्मघातो न क्षणमपि व्याक्षेप्स्यते (न विलम्बयिष्यते) / 'व्याक्षेप' नाम विलम्ब का है। 'अव्याक्षेपो भविष्यन्त्याः कार्यसिद्धेहि लक्षणम्' (रघु)। अभ्यास-४८ सरदार वल्लभ भाई पटेल उनका चेहरा देखते ही मालूम होता है कि इस आदमी का दिल फौलादी तत्त्वों का बना है। चेहरा एक मूत्ति की भांति ठोस, जिस पर दृढ़ता की रेखायें हैं और जिसकी चुप्पी भयानक सी लगती है। जीवन के प्रारम्भ से वह विद्रोही और योद्धा रहे हैं / उन्हें बनावटी बातों से घृणा है / वह कर्तव्य में विश्वास रखते हैं / बोलते बहुत कम हैं और बहुत बोलनेवालों के प्रति उनका हृदय घृणा से भर जाता है। हमारे देश के नेताओं में उन जैसा संघटनकर्ता कोई नहीं। जिस काम को हाथ में लिया उसे पूरा करके छोड़ा / फिर इधर-उधर वह नहीं देखते / खेड़ा, नागपुर, बोरसद, बारडोली उनकी विजय जीवन-यात्रा के कतिपय पदचिह्न हैं। वह एक वीर पुरुष हैं। उनके जीवन पर निर्भयता की छाप है / युद्ध उनका स्वभाव है-यद्यपि सच्चे नायक की भांति युद्ध वह तभी छेड़ते हैं जब कोई रास्ता नहीं रह जाता। इसके पूर्व वह विरोधी को काफी छूट (कामचार), काफी अवसर देते हैं। युद्ध को देखकर उनमें अद्भुत भावावेश उमड़ता है। मध्ययुगीन राजपूतों की नाई युद्ध में उनका जीवन हंस उठता है 3 / युद्ध के समय उन्हें देखिये छाती में आंधी का साहस, भुजायें फड़कती हुई, दिल उमंगों के शिखर पर चढ़ा हा, वाणी आग उगलने वाली / खतरे और जोखम के प्रति आकर्षण उनका स्वभाव हैं। बारडोली युद्ध के पूर्व उन्होंने एक बार कहा था "मेरे साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता। मैं ऐसे किसी काम में नहीं पड़ता जिसमें खतरा या जोखम न हो / जो आपत्तियों को निमन्त्रण दें, उनकी सहायता को मैं सदा तैयार हूँ।" _____ कठोर मुख, दृढ़ जबड़े और शत्रु५ के प्रति विनोद तथा ललकार से भरी अांखें जिनमें उनके लिए व्यंग्य और जहर भरा है, यह वल्लभभाई हैं। 1-1. प्रा शैशवात् / 2-2. जुगुप्सते सोर्थेभ्यः कुत्रिमेभ्यः / बीभत्सते (ऋतीयते) ऽसौ सव्याजेभ्य उपन्यासेभ्यः कथनेभ्यः / 3-3. विकसति जीवकुसुमम् / 4-4. संशयसंकटे प्रति / 5-5. प्रत्यरातीनुपहासप्रचुरे (विडम्बनाबहुले, अवधीरणानिर्भर) आह्वानपरे उपालम्भं व्यञ्जती विषं चोद्वमन्ती विलोचने /