Book Title: Anuvad Kala
Author(s): Charudev Shastri
Publisher: Motilal Banarsidass Pvt Ltd

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Page 245
________________ ( 194 ) अभ्यास-४० ग्राम में रहने वालों को तुमने देखा होगा, प्रायः ऊँचे कद सुर्ख रंग औरव्यायामी शरीर के होते हैं२, उनके विपरीत नगर के पुरुष छोटे 3 कद के और कमजोर होते हैं 3, और रोगों की शिकायत बहुधा सुनी जाती है। इसका कारण यह है कि प्रथम तो ग्राम के रहने वालों के कार्य ऐसे होते हैं कि उनमें व्यायाम खूब होता है। दूसरे इनको हर समय ताजा वायु खाने को मिलती है। नगरों और कस्बों में, क्योंकि जनता को अधिकता होती है, वायु प्रायः अशुद्ध हो जाती है, अतः शहर में रहकर यदि यह चाहते हो कि ग्राम-वासियों की तरह स्वस्थ रहो तो प्रातः और सायं सड़कों या आबादी से कुछ दूर घण्टे दो घण्टे फिर पाया करो। खुले-खुले विशाल मैदानों में फिरोगे, लहलहाते खेत, हरे-हरे वृक्ष और बहता हुआ जल देखोगे तो इसमें तुम्हारा हृदय प्रसन्न होगा, तबियत भी खिली रहेगी। ताजा वायु भी सेवन करने को मिलेगा और स्वास्थ्य भी बना रहेगा। संकेत-खुले 2 विशाल मैदानों में...:"प्रसन्न होगा आभोगवत्सु प्रकाशेषु निकर्षणेषु यदा परिक्रमिष्यसि, शाद्वलानि क्षेत्राणि च, हरितः शाखिनश्च ( पालाशान्पलाशिनश्च ) स्यन्दमाना अपश्च द्रक्ष्यसि तदा तय॑ति ( त्रप्स्यति, तर्पिष्यति ) तेऽन्तरङ्गम् / 'संनिवेशो निकर्षण:'-अमरसर्वानन्द अमरटीकाकार निकर्षणम् ( नपु० ) ऐसे पढ़ता है। पुरादेर्बहिर्विहरणभू:-क्षीरस्वामी / अभ्यास-४१ एक न एक समय खेलना भी अवश्य चाहिये। इससे चित्त प्रसन्न रहता है। हाथ पांव खुलते हैं। शरीर में चुस्ती आती है। देखना ! बालक पाठशाला से पढ़कर निकलते हैं। मैदान में खेल रहे हैं. क्या खुश हैं, कैसे निश्चिन्त हैं / इनके मुख क्या तरो ताजा है। माता-पिता के प्यारे हैं। घर के लाडले हैं, उछलते हैं, कूदते हैं, दौड़ते हैं। उसे देखो भूमि पर पांव नहीं लगाता। वह बालक बड़ा चंचल है। यह तो भद्दा है। खूब दौड़ नहीं सकता, फ़िर भी दौड़ता फिरता है। यह तो गिर पड़ा। क्या हुआ, फिर उठकर दौड़ने लगेगा। वाल्यावस्था बड़ी विचित्र नेमत है। अच्छा मियां ! खेलो, कूदो, उछलो, दौड़ो, परन्तु सातों दिन खेल-कूद के ध्यान में ही न १-१-महावणिः , प्रांशवः। २-२-शरीरेण ध्यायामिनः / ३-३पृश्नयः कृशाश्च / ४--वार्त, कल्य, निरामय-वि० /

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