________________ ( 163 ) हम तीनों भाइयों ने बड़े यत्न से निकाला। परन्तु प्राधा तो छिन गया, प्राधा हमारे हाथ चढ़ा। पांचवां-अरे हम जानते हैं, जहाज बच जायगा / अफसोस ! छठां-क्या मजाल ! क्या शक्ति ! वह देखो चक्कर खाया। संकेत-प्रातः काल मुँह अन्धेरे गहरे हैं......"मिलेगा= अद्य प्रातस्तरामेवोदेष्यत्ययः। प्रभूतार्थलब्धि भवित्रीमुत्तश्यामि। बस जहाज डूबने "... 'इदानी पोतो न न भ्रशोन्मुखः / अजी पौ बारह हैं -नन्ववष्टब्धा (प्रासन्ना) लब्धिवेला / प्राप्तो लाभप्रस्तावः ) / परन्तु यारों की खूब "परमस्मास्त्वदभ्रमुपभोग्यमुपानमत् / क्या मजाल' 'नैतच्छक्यम् (इदमसंभवि)। अभ्यास-३६ तुमको सदा ख्याल करना चाहिये कि घर के कामों में कौन सा काम तुम्हारे करने योग्य है। निःसन्देह यदि छोटे बहन-भाई रोते हैं तुम' उनको संभाल सकती हो जिससे माता को कष्ट न दें। मुंह धुलाना, उनके खाने पीने की खबर रखना, वस्त्र पहराना, यह सब कार्य यदि तुम चाहे तो कर सकती हो, किन्तु यदि तुम अपने भाई बहन से लड़ो और हठ 3 करो३ तब तुम अपना मान गवाती हो और माता-पिता को कष्ट देती हो। वह घर' का धन्धा करें अथवा तुम्हारे मुकदमों का निपटारा करें ? ___ घर में जो भोजन पकता है उसको इसी प्रयोजन से नहीं देखना चाहिये कि कब" भोजन तैयार होगा और कब मिलेगा। घर में जो कुत्ता बिल्ली तथा अन्यान्य पशु पले हैं वे यदि पेट भरने की प्राशा से खाने की राह देखें, तब कुछ बात नहीं, परन्तु तुमको प्रत्येक बात में ध्यान देना चाहिए कि सागभाजी किस प्रकार भूनी जाती है, नमक किस प्रकार अन्दाज से डालते हैं। यदि प्रत्येक भोजन को ध्यानपूर्वक देखा करो तब निश्चय है कि थोड़े ही दिनों में तुम पकाना सीख जानोगी और तुमको वह कला आ जायगी जो दुनियां की सभी कलाओं से अधिक आवश्यक है। / 1-1 तानवेक्षितुमर्हसि। 2-2 भ्रातृभिः स्वसृभिश्च कलहायथाः / 3-3 अभिनिविशेथाश्च / ४-गृहतन्त्रम् / 5-5 कदा रात्स्यति (राध्-दिवादि) (रध्-रत्स्यति, रविष्यति) भोजनम् / 13