________________ [ 174 ] भेजिये / १०--राम स्वभाव से सरल है, अतः उससे पूरी आशा है कि वह प्रतिज्ञा को पूर्ण करेगा, पर मनुष्यों का चित्त अस्थिर होता है, इससे मुझे भय है-ऐसा कैकेयी ने अपने हृदय में विचारा / ११--रसोई में नाना प्रकार : के पकवान पक रहे हैं, अतः मिला जुला एक अपूर्व सुगन्ध उठ रहा है / 12-- राम५ सम्बन्धी कथा करनेवाला पुरुष अपने पुण्यों को बढ़ाता है और पापों को कम करता है, इसमें क्या सन्देह है ? १३-इस भयानक समाचार को सुन वह एकदम बेसुध हो गया। जल छिड़कने और पंखा करने से कुछ देर बाद होश में आया / १४-राज्य-नाश भी इतना दुःख नहीं देता जितना मित्रों का वियोग / १५--यह रोग पुराना हो गया है. अतः अनुभवी वैद्य भी इस की चिकित्सा सहज में नहीं कर सकते / १६--आज हम यहीं रात्रि बितायेंगे१० / इससे कुछ विश्राम भी मिल जायगा और कुछ इन लोगों से विचार विनिमय भी हो जायगा। १७--अभी तो तुझे मूंछ ११दाढ़ी भी नहीं आई 11, कुछ देर बड़ों की सेवा में बैठकर कुछ सीखो और फिर ऐसे गम्भीर विषयों पर विचार कर पाओगे / १८--इसके एक जैसे नुकीले चमकीले सफेद दाँत कैसे सुहाते हैं ? यह न केवल सौन्दर्य का लक्षण है, स्वास्थ्य का भी / १६--यह युवक उम्र में पच्चीस बरस का है और यह सत्तर बरस का बूढ़ा, पर इसके शरीर में एक अनोखा तेज है / २०-तुम्हारे पिता से यह मालूम कर'२कि तुम्हारी वही बेढंगी चाल है जो पहले थी, मुझे बहुत दुःख हुआ। संकेत----१--क्षणं कुरु, अयमायामि, नाहं त्वां चिरं रोत्स्यामि / ३सम एव पन्थाः, अतः सुगः (सुखसञ्चारः)। 6 अद्यास्मासु तिष्ठेः / श्वः कल्ये साधयिष्यसि / का त्वरा ? इदमपि ते स्वं गेहम् / ७--अहंपूर्वाः प्रसन्नाश्छात्राः गुरोरांदेशाननुतिष्ठन्ति / १३-दारुणमिममुदन्तं निशम्य स सहसाऽपितचेतनोऽभूत्, अथ पयःपृषतैः प्रसिक्त उपवीजितश्च प्रत्यागमत् / १८-समाः शिखरिणः स्निग्धाः पाण्डुरा अस्य दशनाः कथं शोभन्ते ? १६--अयं वयसा पञ्चविंशको 1. संसाधय / 2- अनित्य--वि० / 3. पृथग्विध-वि० / 4. व्यामिश्र-वि० / 5-5. रामाधिकरणाः कथाः / 6. प्रकर्षति / 7--7. अपकर्षति / 8-8. सुहृद्भिविनाभवः / 6-6. नायं सुप्रतिकरः / 10-10. रात्रि वर्तयिष्यामः / 11-11. अजातव्यञ्जनः / 12--12. तव जनकस्येति विज्ञाय / यहाँ पञ्चमी का प्रयोग शास्त्र-विरुद्ध होगा।