________________ ( 175 ) युवा, अयं च सप्तत्या स्थविरः। यहां वयस् तथा सप्तति शब्दों से 'प्रकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम्' इस वार्तिक से तृतीया हुई है। इस वाक्य में वर्ष शब्द के प्रयोग की कोई पावश्यकता नहीं। ऐसी प्रयोगशैली में रा० (3 / 47 / 10) तथा मनु० (8 394) प्रमाण हैं। पञ्चविंशतिः (वर्षाणि) वयः परिमाणमस्येति पञ्चविंशकः। ड्न् / वस्तुतः 'पंचविंशक' शब्द की सिद्धि दुर्लभ है। प्रथम तो 'विंशतित्रिंशद्भयां ड्नसंज्ञायाम्' (5 / 1 / 24) से 'ग्रहणवता प्रातिपदिकेन' इस परिभाषा से 'पचविंशति' से डवुन संभव नहीं। कथंचित् संभव भी हो तो भी 'अध्यर्धपूर्वद्विगोः' (5 / 1 / 28) से उसका लुक अनिवार्य है। फिर भी 'मम भर्ता महातेजा वयसा पंचविशकः' (रा० 3 / 17 / 10) इस रामायण के प्रयोग-प्रामाण्य से हमने इसे स्वीकार किया है। अभ्यास-२७ १-बच्चों, स्त्रियों तथा नौकरों को मिलाकर हम कुल 20 हैं। तुमने हमसे अधिक किराया लिया है। कृपया जो बनता है उसे काट कर शेष हमें लौटा दो। 2-* हे सुग्रीव, तू और वाली स्वर में और तेज में आपस में मिलते जुलते हो। नहीं जान पड़ता कि कौन कौन है / ३-यह रंग विरंगी दरी आपने कितने में मोल ली? यह तो मित्रों को लुभाने वाला उपहार बन सकती है। ४-जब देवदत्त युद्ध में हार रहा था और उसका प्रतिद्वन्द्वी यज्ञदत्त बढ रहा था तब उसके साथी ने युद्धभूमि में प्रवेश किया और तीव्र बाण वर्षा से यज्ञदत्त का मुंह मोड़ दिया। ५~पहाड़ी दर के बीच में स्थित किष्किन्धा नगर में भ्राता से अपमानित सुग्रीव राज्य करता था। सीता की हूँढ़ में इसने भगवान् राम की बहुत सहायता की। 6-* मने बाण छोड़ा नहीं कि तुम्हारा शत्रु नष्ट हुमा, इस प्रकार राम ने सुग्रीव को प्राश्वासन दिया। ७-इसकी बुद्धि सब शास्त्रों में एक समान चलती है, कहीं भी नहीं रुकती। इसका यह फल गौरव पुण्यों का फल है। 8-* देर न कीजिये निश्चय कीजिये / आप जैसे बुद्धिमान् कर्म करने में देर नहीं करते।९-बैठिये, थकावट उतारिये मोर हमारा जैसा तैसा मातिथ्य स्वीकार कीजिये / 10-* प्रेम से दिये हुए धन पर सूद नहीं पड़ता जब तक उसे वापिस न मांगा जाय / ११-जब चोर रस्से के बल से महल' के ऊपर लगभग पहुँच गया था तो रस्सा टूट गया और वह धड़ाम पृथिवी पर गिरा और गिरते ही मर गया। १२-विद्वानों से भरी वाराणसी को व्यापारी "जित्वरी' नाम से पुकारते हैं / १३-पाजकल शय्या से उठते ही चाय पीते हैं। कृत्यों में कोई क्रम नहीं रहा। 14-* मोह ! चांद हमारे साथ आंखमचौनी खेल रहा है। १५-यह बेचारा चिर से रोगी है, कई रातों के पीछे आज उसे -प्राप्तभूयिष्प्रासादतलः।