________________ ( 135 ) सकती / १६-सब याचकों के लिए कल्पतरु तथा सब कलाओं में पार पहुंचा हुमा अमरशक्ति नामक राजा हुआ / १७-स्नेह से द्रवित हृदय उसने तीन रातों के बाद यात्रा को तोड़ा। १८-+फिर कभी सब जानवरों से घिरा हुआ, प्यास से व्याकुल पिंगलक नाम का सिंह जल पीने के लिए यमुना के किनारे उतरा / १६-एक दो गलतियां करनेवाले को तमा किया जा सकता है, पर बार-बार अपराध करनेवाले को कौन क्षमा करे ? २०-ऐसी आशा है कि लगभग बीस' विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में पास होंगे और तीसरे के ऊपर द्वितीय श्रेणी में। उपत्राः सजो मे ग्रथान / त्रयाणां समीपे ये वर्तन्ते ते उपत्राः / डच् समासान्त, स्त्रीत्वविवक्षा में टाप् / ४–स विप्राय वृषभैकादशा गा ददातु, यदि स एनः प्रमाष्टुमिच्छति / (वृषभ एकादशो यासां ताः)। इसी प्रकार अन्यान्य कुछ प्रयोग ये हैं-सीताद्वितीयो रामः, पाण्डवा मातृषष्ठाः, छायाद्वितीयो नलः इत्यादि / ६भारते वर्षेऽमिततेजसः पूतपापा ऋषयो बभूवुः / ११-कण्डितसन्धेर्मे पाणिपादं न प्रसरति / १३-तयोर्मुष्टीमुष्टि सम्प्रहारस्तावदवृतत्, यावदेकतरो निर्जितो नाभूत् / १४-कदुष्णेन (कवोष्णेन, कोष्णेन, प्रोष्णेन, मन्दोष्णेन) जलेन स्नाहि, इदं ते सुखं भविष्यति (इदं त्वां सुखाकरिष्यति) / १६-एकद्वानपरावान्कुर्वञ्छ. क्यः क्षमितुम् / क्रियासमभिहारेणापराध्यन्तं समेत कः ? एको वा दो वा एकद्वाः बहुवचन। अभ्यास-२० . ( समास ) .. १-जब उसने अपने पुत्र को संकट में फंसे देखा तो वह उसकी सहायता के लिए गया / २-हि बादल ! वहां तुम्हें क्रीड़ा में लगी हुई सुर-युवतियों को सुनने में भयानक गर्जन से डराना चाहिये / ३-राम के राज्य में सब लोग रोग तथा विपत्ति से रहित थे और गिन" पाई मौत नहीं मरते थे। ४-यह देश बहुत नदियोंवाला है। इसलिए यह कभी दुर्भिक्ष से पीड़ित नहीं 1. बीस के लगभग-आसन्न विशाः, अदूरविशाः / 2. तीस से ऊपर-अधिकत्रिंशाः / ३-क्रीडालोलाः, क्रीडासक्ताः / ४-श्रवणभैरवेण / ५-भाययः / यहां सीधा हेतु' से भय न होने से 'भीषयेथाः' प्रयोग नहीं हो सकता / 6.-6 निरातङ्काः, निरापदः / ७-अकालमृत्युः /