________________ ( 146 ) में हाथ बटायो / ३-+मित्रों से बांटे गये दुःख की पीड़ा सराहने योग्य हो जाती है / इसलिये हम तुमसे बार-बार कहते हैं कि अपने रोग का वास्तविक कारण बताओ / ४-वर्षा पड़ने से पहले घर चले जाओ, यदि वर्षा पड़ने लगी तो मेरे विचार में यह मूसलाधार होगी / ५-वह मुझ पर क्रोध करता है, यद्यपि मैं उससे बहुत प्रेम करता हूँ। ६-प्रजा' के साथ यदि इस प्रकार का दुर्व्यवहार किया गया तो वह जल्दी ही असंतुष्ट हो जायगी।७-मुझे इस आदमी पर तरस पाता है, जो अपनी पीठ पर भारी बोझ ले जा रहा है। बेचारे का दम टूट रहा है / ८-यह नहीं कि नौकर झूठ बोलने के आदि होते हैं, सत्य कहते हुए भी नौकर पर मालिक का भय छा जाता है / -उसकी विद्वत्ता को देखा जाय तो वह आदर के योग्य है, मनुष्यता को देखें तो तिरस्कार का पात्र है। १०-विद्यार्थी को अपने सहपाठियों के उत्कृष्ट ज्ञान के कारण उनसे ईर्ष्या नहीं करनी चाहिये / ११-भगवान् कृष्ण ने स्वयं विद्वानों के पैर धोये और उन्हें। भोजन परोसा / १२-उस खेत में हल चलाया गया है और सुहागा फेरा गया है. अतः वह बीज बोने के लिये तैयार है। १५-परीक्षा प्राज५ कल में होने वाली है / दिनरात तैयारी में लग जानो। ___ संकेत-१-गुरूणामुपदेशान् माऽवमंस्थाः / मा च तानभिधः / 5-- स च मे हणीयतेऽहं च तस्मिन् प्रीये। ७-पृष्ठेन महान्तं भारं वहतोऽस्य जनस्य दये / वराकेण श्वसनमपि दुर्लभम् (श्वसितुमपि न लम्यते)। ८-मृषा वादिनो भृत्या इति न, सत्यमाचक्षाणमपि भृत्यं भर्तुर्भीतिराविशत्येव / ६-स विपश्चिदिति बहुमानमर्हति, पुरुष इत्यवधीरणाम् / १०-छात्रा विद्याप्रकर्षण सहाध्यायिभ्यो नेर्पायुः / १२-कृष्टसमीकृतमदः क्षेत्रं बीजवापाय कल्पते / अभ्यास-६ १-उतावली मत कर, रेलगाड़ी पर पहुँचने के लिए काफी समय है। २-मेरे विचार में तुम इस दीवार को नहीं फांद सकते। यदि तुम प्रयत्न 1. बहुवचन में प्रयोग व्यवहारानुगत होगा। 2--2. अपरफ्तारः (कर्मकर्तरि प्रयोगः) / 3..3. चरणौ निणिनिजे / 4-4. भोजनेन च तान् परि. विविषे / 5-5. अद्यश्वीना (परीक्षा)।