________________ ( 143 ) चाहिए। ३-यह छकड़ा पर्याप्त भार ले जा सकता है। ४-मैं तुम्हारे में कोई निन्द्य बात ( अवद्य, गो) नहीं पाता, वास्तव में तुम्हारा चरित्र निर्दोष है। ५-वह शिष्य जो अपने अध्यापक की आज्ञा का पालन करता है, सरल' और सहनशील है। वह प्रशंसा का भागी होता है / ६-यह 3 मानी हुई बात है कि पंजाब के श्री हंसराजजी ने हिन्दुओं का पर्याप्त उपकार किया। ७-समय मिलने पर किसान को चरखा कातना चाहिए, और बुनना चाहिए यदि हो सके, जिससे उसकी तुच्छ आय बढ़े। ८-यह कम्बल बिकाऊ है, यदि चाहो तो दस रुपये में इसे मोल ले सकते हो। 6-+ लोगों को क्या सेवन करना चाहिए ? सुरनदी ( गंगा ) का दोष रहित सामीप्य (निकटता)। एकान्त में किसका ध्यान करना चाहिए ? कौस्तुभ धारण करने बाले भगवान् ( कृष्ण ) के चरणयुगल का। 10-+ दुष्टों से प्रार्थना नहीं करनी चाहिए और थोड़े धनवाले मित्र से भी याचना न करनी चाहिए / विपत्ति में भी ऊंचे होकर रहना चाहिये, तथा बड़ों के पद का अनुसरण करना चाहिये। ११-क्या तुम्हारे विचार में वह सेवानिवृत्तिकाल से पहिले ही मौकरी से हटा दिया गया होगा। १२-सोने से पहले तुम्हें अपना पाठ याद कर लेना चाहिये था ।१३-तुम्हें अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देनी चाहिये थी. शायद वे प्रसिद्धि प्राप्त कर लेते। १४-मुझे घर का सामान ले जाना है, गाडी नहीं मिलती। १५--बहुत धन देना कठिन है, बहुत पिछली बातों को जानना मुश्किल है। १६-इस ग्रन्थ में शास्त्रों और काव्यों की सक्तियाँ टूढ़-२ कर इकट्ठी की गई हैं। १७-बनिया लोग अपने गन्तव्य स्थान को जा रहे हैं / 18- बादलों के बीच में से निकले हुए, काफूर के पत्तों { से मिलकर ) शीतल केवड़े की गन्धवाले वायु के झोंके इस योग्य है कि इन्हें अंजलि भर-भर पीया जाय / संकेत-१-अजय्योऽहिंसाप्रभावः / अहिंसा च सर्वथा सर्वदा सर्वभतानामनभिद्रोहः / २-भोजनादव्यवहितपूर्व त्रिराचाम्यम् त्रिश्चान्ते प्रमृज्यम् (प्रमार्यम्) मुखम् / यहाँ 'प्राचम्यम्' का प्रयोग अशुद्ध होगा। 'मासु-यु-वपि-रपि-त्रपिचमश्च' (3 / 1 / 126) से ण्यत् होता है। पवर्गान्त अदुपध होने से यत् प्राप्त था। ३-इदं वह्य महद् वाह्य वहति / ७-निर्व्यापारेण कृषाणेन कर्त्तनीयं वानीयं च शक्यं चेत् तद्भवेत् , येनाल्पस्तदीय प्रायो विवर्धेत / ५-पण्य एष कम्बलः, 1-1. ऋजुरनसयकश्च / 2-2. प्रशस्यो भवति, पनाय्यो भवति / ३इत्यभ्युपगतम् , इति प्रतिपन्नम् / 4-4. विचायं विचायम् / अन्वेषमन्वेषम् /