________________ ( 140 ) बवण्डर वात्या आते हैं / ४-ये सब उपहार (प्रौपहारिक-न) लौटा देने चाहिए / इसके स्वीकार करने से हमारा लाघव है / ५-तुम्हें (पीने के लिये) नदी का पानी प्रयोग में नहीं लाना चाहिए / बहता है इतने से ही सभी जल पीने के योग्य नहीं हो जाता / ६-रूप उसी प्रकार आंखों का विषय हैं जैसे शब्द कानों का / मूर्त पदार्थ इन्द्रियों से ग्रहण किये जाते हैं (ऐन्द्रियिक)। ७-यद्यपि वह मेरे पड़ोस में रहता है, वह मेरे साथ के मकान में रहनेवाला पड़ोसी नहीं। ८-यह बाग जनसाधारण के लिये (विश्वजनीन) है, इसमें प्रत्येक व्यक्ति आ जा सकता है / ६-वह मध्यमश्रेणी का वैयाकरण है तो भी शास्त्र-व्याख्यान में चतुर है / १०-उस समय के लोग बहुत प्रसन्न रहते थे। उनकी आवश्यकतायें कम थीं। ११-वह अवैतनिक मुख्याध्यापक है, अतः बड़ा हठी (ग्रहिल, अभिनिवेशिन्) व अत्याचारी है / ११-यह सुंदरता' स्वाभाविक नहीं है। यह मुझे नहीं भाती / १३-वह निर्भीक चोर (ऐकागारिक) है, उस पर हाथ नहीं उठाना भयावह है। १४-वह न केवल धर्म नहीं करता, प्रत्युत अधर्म भी करता है। १५-कहते हैं भैंस का दूध (माहिषं पयः) अतिशक्ति वर्धक होता है / १६-वह मेरा प्यारा मित्र (वयस्य, सहचर) है, मुझे उसकी सच्चाई पर सन्देह करने का कोई कारण नहीं / १७-उसकी योग्यता (प्रार्हन्ती) की प्रत्येक प्रशंसा करता है। और उनके विनय (वैनयिक नपुं०) की भी / 18- स्त्रियां स्वभाव से लज्जा. शील होती हैं / १६-गुणवाले (गुण्य) ब्राह्मणों को नमस्कार हो, क्योंकि वे संसार के शरण हैं और निपुण भी। २०-भारत के सिपाही युद्ध में उतने ही चतुर (सांयुगीन) हैं, जितने दूसरे देशों के / २१-उसकी बुद्धि सब विषयों में समान चलती है / वह विद्वानों में मुखिया (मुख्य, मूर्धन्य, धूर्य, धौरेय) है / २२-इस हलवाई का हलवा बढ़िया होता, अतः इसे सराहते हैं, पर दूध घटिया इसलिये इसकी निन्दा होती है। संकेत-२-तस्य भ्रातृव्यः संस्कृते एम० ए० परीक्षायां सर्वस्मिन् मध्यदेशे प्रथम इति निर्दिष्टोऽभूत् / ४-एतदोपहारिक प्रत्यर्पणीयम् / उपहाराणां समूहःप्रौपहारिकम्। 'अचित्तहस्तिधेनोष्ठक्'। ५-नादेयं जलं नाऽऽदेयम् (नद्या इदं नादेयम्) (न प्रादेयं नादेयम् ) / नहि स्यन्दत इत्येतावता सर्व पाथः पेयं भवति / ७-स मे प्रातिवेश्यो न भवति यद्यप्यारातीयः / १०-तात्कालिको (तादात्विकः) लोकोऽति 1. सौन्दर्य, प्राभिरूपक, रामणीयक, कामनीयक-नपुं० / २स्वाभाविक, नैसर्गिक, सांसिद्धिक, प्रोत्पत्तिक-वि० /