________________ उलाहना मत दीजिये, नगर के होते हुए गांव में रत्न-परीक्षा / १३-*उस प्रकार के प्रेम के इस अवस्था पर पहुँच जाने पर याद कराने से क्या ? 14- पौरव के पृथ्वी पर राज्य करते हुए कौन प्रजाओं के प्रति अनाचार (अविनय) करेगा ! ५-*शुभ्र ज्योत्स्ना में व्यर्थ दीपक दिखाने से क्या काम ? ६-*पिताजी के जीते जी नया नया विवाह होने पर निश्चय से हमारे वे दिन गुज़र गये जब हमारी माताएं हमारी देख-भाल करती थी। ६-मैं तो तुम्हारे देखते-देखते इस कुमार वृषभसेन को मार डालता हूँ / ८-*जब कि बेल पहले ही कट चु को है, तो फूल कहाँ से पा सकते हैं ? 8-जब संकटर पाते हैं तो मित्र भी शत्रु हो जाते हैं / १०-वर्षा का शुरू होना था कि उसने अपना छाता खोल लिया। ११-उसने पग उठाया ही था कि किसी ने पीछे से आवाज दी। १२-रात पड़ते ही३ जंगली जानवर शिकार की खोज में निकल पड़ते हैं / १३-अध्यापक के कमरे में प्रविष्ट होते ही जो बालक' शोर मचा रहे थे, चुप हो गए। 14- भीष्म के मारे जाने पर, द्रोण के मारे जाने पर और कर्ण के मार गिराये जाने पर, हे राजन् ! प्राशा ही बलवती है जो शल्य पाण्डवों को जीतेगा। संकेत-१-प्रविष्टमात्र एवात्रभवति निरुपप्लवानि नः कर्माणि संवृत्तानि / ७-अहं पुनर्युष्माकं प्रेक्षमासानामिमं कुमारवृषभसेनं स्मर्तव्यशेषं नयामि / १०छाता खोल लिया छत्रं व्यतानीत् / प्रभ्यास-८ ( भावलक्षणा पष्ठी व सप्तमी ) १-राक्षस के देखते हुए नन्द पशुत्रों की भांति मारे गये / २-माता के रोते हुए भी शंकराचार्य ने संन्यास ले लिया और मोक्ष की चिन्ता में प्रवृत्त हो गये / ३-निहत्थे ग्रामीणों के देखते-देखते डाकू ग्राम के मुखिया की सारी सम्पत्ति लूट ले गये। ४-जब वे दोनों इस प्रकार बातें कर रहे थे, तो में दैवयोग से पास से निकला / ५-सुनार लोगों के देखते-देखते (सोना) चुरा लेता है, इसलिये उसे 'पश्यतोहर' कहते हैं और चूंकि यह एक मंश मात्र हरता है, 1-1. स्मर्तव्यशेषं नामि, पञ्चतां प्रापयामि / यमक्षयं (यमसदन) गमयामि / 2-2. उपनतेषु व्यसनेषु, उपस्थितासु व्यापत्सु / 3--3. अवतीर्णायां त्रियामायाम् / 4--4. शब्दकारियो माणवकाः, शन्दकाराश्यात्राः /