________________ ( 53 ) स्फूर्ति और बल पाता है / शरीर स्वस्थ रहता है और चित्त एकात्र / १६आपकी बातचीत प्रकृत विषय से कोई सम्बन्ध नहीं रखती। माप अपना समय गवा रहे हैं। २०-जब भूचाल पाता है, कहीं पृथ्वी उभर माती है, कहीं घस जाती है, कहीं गहरे गढ़े पड़ जाते हैं और पानी निकल पाता है / 2 / -प्राकाश पर बादल छा रहे हैं और बिजली कड़क रही है। २२-तेरा पड़ोसी' गरीब है, तू उसको सहायता क्यों नहीं करता ? २३-क्या दूध पक गया ? श्रीमन् ! दूध पक रहा है। __ संकेत-३-तपस्विनी सा भिक्षुकी शैत्येनापादचूलं वेपते ज्वरति च / ७-निर्वाति प्रदीपः, तैलनिषेकोऽस्य परिसमाप्यते ( स्नेहोऽस्य परिसमाप्तः)। ८--इमे कर्का अतिमनोज्ञाः / शङ्क एते न धावन्त्यपि तूत्पतन्ति / यहाँ श्वेताः, शुक्लाः मादि नहीं कह सकते। कर्क शब्द ही श्वेत प्रश्व के विषय में नियत है ।६-मन्दमन्दं वारिकणिका वर्षति बारिवाहः / ह्रसितमुष्णम् / ११अद्य त्रीन् वत्सरान्स तदेवाल्पकं सदनमावसति, सुखं च समश्नुते ( अश् स्वा० मा०) / यहाँ त्रीन् वत्सरान में हुई द्वितीया ही न्याय्य है, विभक्त्यन्तर नहीं। १२-मध्याह्न द्विवादनात्प्रभृत्यहं पाठं स्मरामि / नाबापि पारयामि कण्ठे कर्तुम् / (प्रोष्ठगतं कर्तुम्) / १३-इयं शकुन्तिका शावमुच्चितान्कणानाशयति / इयमुपमा निष्कारणस्य प्रणयस्य (दिगियमकारणस्य स्नेहस्य)। १४-अक्षदेवी ( देविता)ध्रुवं नश्यति (प्रक्षनियतमुत्सीदति, सत्यं रिष्यति द्यूतकारः, अवश्यं प्रणश्यति दुरोदरः ) / १६-युवयोः संभाषा (संवादः, संलाप:) प्रकृतं नानुसरति (प्रकृतं नानुधावति, प्रकृतेन नान्वेति) / २०-यदा भूः कम्पते तदा क्वचिद् इसमुदञ्चति, क्वचिन्यञ्चति (निषीदति), क्वनिच्छ महागाः संजायन्ते बलं व प्रस्रवति / २१-प्रवस्तीर्यते नभस्तलं वारिदैः ह्रादते च ह्रादिनी / २३-कि शतं क्षीरेण? अङ्ग धाति पयः। अभ्यास-८ ( लल् लकार ) १-जब मैं घर में प्रविष्ट हुआ तो कोई भी अन्दर न था। इसस मुझे बहुत अचम्भा हुआ। २-भारत में प्रशोक नामक एक बड़ा सम्राट हो चुका १-प्रतिवेशिन्-वि० / १-दरिद्रा भदा०प० / 3-3 स कथं नाभ्युपपबते / ४-'उष्ण' का यहां भावप्रधान प्रयोग किया गया है। जैसे कालिदास ने शाकुन्तल में किया है-अनुभवति हि मूर्जा पादपस्तीवमुष्णम् /