________________ बाहर आ गये', और पास ही वन में प्रविष्ट हो गये / २–वह संयमी यति राजा की आज्ञा पाकर द्वारपाल द्वारा राजा के सामने लाया गया / ३आकाश में विचरती हुई वारणी द्वारा वसुमती के गर्भ से सब शत्रुओं को नाश करनेवाला राजकुमार निश्चित रूप से पैदा होगा यह सत्य वचन कहा गया / ४.--यदि कोई छींक' लेने लगे, तो उसे रोका न जाय / ५-प्रणाम करती हुई उस वृद्धा ने आसानी से अपना वृत्तान्त कहा और सबने एकाग्रचित्त होकर सुना। ६.-राजा की मृत्यु का समाचार पाकर सारे नगर में न किसी ने कुछ पकाया, और न किसी ने स्नान किया, नहीं कुछ खाया, सब जगह सारे रोते ही रहे / ७-यह अपूर्व गुण हैं, पिछले समय भी कहीं-कहीं हो देखने में आते थे / ८-इस विश्वव्यापी युद्ध में न जाने कितनी जानें नष्ट हुई / ६-दो बन्दी' कचहरी से जेल में वापिस लाये गये / 10-* हे राजन् ! तेरा यश रूपी समुद्र कहाँ और सागर कहाँ-सागर तो मुरारि से मथा गया, बेला से नापा गया, मुनि ( अगस्त्य ) से मुख में निगला गया, लङ्कारि ( राम ) से वश में किया गया, कपि ( हनुमान् ) से बांधा गया, और ( दूसरे ) बन्दरों से सहज में ही पार किया गया। संकेत-३-गगनचारिण्यापि वाण्या वसुमतीगर्भस्थः सकलरिपुकुलमर्दनो राजनन्दनो नूनं सम्भविष्यतीति सत्यमवाचि / ५-प्रणतया तया वृद्धया सलीलमात्मवृत्तान्तोऽलापि सर्वैश्चावहितमश्रावि / ६-राज्ञो मृत्युप्रवृत्तिमुपलभ्य (राजानमुपरतं निशम्य) सर्वस्मिन्नेव नगरे न केनचिदपाचि, न केनाचिदस्नायि, न केनचिदभोजि, सर्वत्र सर्वैररोदि / ७-अपूर्वा इमे गुणाः / पुरापीमे क्वचिदेवाक्षन्त (अशिषत चिण्वद् इट् च)।-अस्मिन् विषूचिसंख्येऽतिसंख्या योद्धारो निरवानिषत ( अहंसत ) / ६-द्वौ प्रग्रहावधिकरणात् कारां' प्रत्यनायिषाताम् ( प्रत्यनेषाताम्-चिण्वद्भाव और इट् के अभाव में ) / अभ्यास-३३ (लुट्लकार) १-मैं कल यहाँ से चल कर परसों घर पहुँचूँगा और वहां से एक १-१-निरक्रमिषुः / २-प्रक्षुयात् / ३-माऽसौ निरोधि / ४प्रग्रहोपग्रही वन्द्याम्-इत्यमरः / ५---कारागृहम् /